Jamshedpur: केंद्र सरकार ने गुरुवार को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार घोषित किए। भारत सरकार ने दिग्गज तीरंदाजी कोच पूर्णिमा महतो को पद्मश्री से सम्मानित किया है उनके तीरंदाजी क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए। भारत सरकार ने पूर्णिमा महतो से पहले जमशेदपुर की वेटरन पर्वतारोही प्रेमलता अग्रवाल को भी पद्मश्री से सम्मानित किया था। भारत सरकार ने पूर्णिमा महतो को पद्मश्री देने की घोषणा करने के बाद प्रभात खबर ने उनसे बातचीत की।
पूर्णिमा महतो
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उन्हें लगता है कि मेरे लिए यह बहुत गौरवपूर्ण क्षण है, उन्होंने भारत को धन्यवाद देते हुए कहा। मैं अपने परिवार, टाटा स्टील और सभी लोगों को धन्यवाद देता हूँ जो मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में मदद करते हैं। उनका कहना था कि गृह मंत्रालय से फोन आया था। पहले तो मुझे विश्वास नहीं था, लेकिन रात होते-होते मुझे पता चला कि मैं पद्मश्री मिल रहा हूँ। 80 व 90 के दशक में उत्कृष्ट खिलाड़ी रहीं पूर्णिमा महतो वर्तमान में प्रसिद्ध कोच हैं। पूर्णिमा महतो द्रोणाचार्य भी कोचिंग क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए आवॉर्ड से सम्मानित हुई हैं।
पद्मश्री पुरस्कार
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पूर्णिमा महतो ने कहा कि उनके पिता आरआर महतो ने उनके करियर को बेहतर बनाया। माता स्वर्गीय उषा रानी ने भी बहुत मदद की। पूर्णिमा महतो ने कहा कि उसके पांच भाइ-बहन हैं। पिता टाटा मोटर्स में काम करते थे, लेकिन वह मेरी मदद करने को हमेशा तैयार रहते थे। यहां तक कि वह मुझे विदेश जाने के लिए पैसे की जरूरत होने पर भी उफ नहीं करते थे। 2000 में पूर्णिमा महतो ने कोचिंग क्षेत्र में प्रवेश किया। पूर्णिमा महतो को टाटा आर्चरी एकेडमी में कोच बनाया गया। पूर्णिमा महतो ने पहले भी भारतीय टीम और राज्य टीम को कोचिंग दी है। 2013 में भारत सरकार ने पूर्णिमा महतो को कोचिंग क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया। इससे पहले, 2011 में फिक्की ने उनको बेस्ट कोच का पुरस्कार दिया था।
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