लातेहार जिले को 38 मेगावाट बिजली मिल रही है, जबकि उसे 40 मेगावाट की जरूरत है
जिले में पावर ग्रिडो से 38 मेगावाट की बिजली मिलती है, जबकि आम तौर पर 40 मेगावाट की आवश्यकता होती है। बिजली विभाग के जिले में कई पावर ग्रिडो 38 मेगावाट की बिजली उत्पादन करते हैं, जबकि आम तौर पर 40 मेगावाट की जरूरत होती है। बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता मो शमशाद आलम ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में बिजली 20 से 22 घंटे ही मिल रही है।
जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली 16 से 18 घंटा दी जाती है। उनका कहना था कि लोडशेडिंग या रिस्ट्रिक्शन या जेनरेशन युनिट में समस्याओं के कारण उपर से बिजली की कटौती की जा रही है। कहा कि अभी पूरी तरह से बिजली उपलब्ध है। जब जेनरेशन युनिट में कोई समस्या या लोडशेडिंग नहीं होता, तो पूरे जिले को पूरे लोड में बिजली दी जाती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने और मिलने से ग्राहक परेशान हैं। यहाँ भी विद्यार्थियों को बिजली की आंख मिचौली के दौरान पढ़ाई करना मुश्किल है। जिले को 40 से 42 मेगावाट बिजली चाहिए, लेकिन बस 36 से 38 मेगावाट मिल रही है। उपभोक्ताओं का मानना है कि शहरी क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति अच्छी तरह से होती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति का कोई निश्चित समय नहीं है।
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उपभोक्ता राम प्रसाद, विनित कुमार और रीना देवी ने कहा कि बिजली कटते ही लोगों को पेयजल की समस्या होती है। मोबाइल स्टोर संचालक सोनु कुमार ने बताया कि हर दिन जेनरेटर चलाना पड़ता है। व्यापारी नरेश कुमार चन्दन सिंह ने कहा कि बिजली की कमी से व्यापार प्रभावित होता है। गृहणियों ने कहा कि बिजली न होने पर मोटर से टंकी में पानी भरना मुश्किल होता है।