Dumka: झारखंड में लोकसभा चुनाव बहुत दिलचस्प होगा। समाचारों के अनुसार, हेमंत सोरेन जेल से चुनावी मैदान में आ सकते हैं। वह अपने पिता का स्थान दुमका सीट पर ले सकता है।
समाचार पत्रों के अनुसार, शिबू सोरेन को 80 वर्ष की उम्र हो गई है, इसलिए वह इस बार लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लेना चाहते हैं। झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को आगामी लोकसभा चुनाव में प्रतिस्पर्धा करते देखा जा सकता है। झारखंड के कई प्रमुख नेता इस बार लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लेंगे। शिबू सोरेन भी इन प्रसिद्ध नेताओं में शामिल है।
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सोरेन शिबू की स्थान पर हेमंत लड़ेंगे 2024 का चुनाव
शिबू सोरेन, जो इस साल 11 जनवरी को 80 साल के हो गये है , कहा जाता है कि वे इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। उम्र अधिक होने के कारण वे इस क्षेत्र में भी सक्रिय नहीं हैं। शिबू फिलहाल राज्यसभा में भी हैं। अब सोरेन परिवार का एक सदस्य चुनाव लड़ने की चर्चा है। यह भी चर्चा है कि हेमंत सोरेन जेल से ही दुमका से चुनाव लड़ सकते हैं।
पिछले चुनाव में हार गए थे शिबू सोरेन
2019 के पिछले चुनाव में शिबू सोरेन को भाजपा के उम्मीदवार सुनील सोरेन ने हराया। इससे पहले, वे दुमका से 8 बार सांसद रहे हैं। 1980 में पहली बार यहां जीतने के बाद शिबू सोरेन ने 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009 और 2014 के आम चुनावों में जीत हासिल की। दुमका सीट पर उन्होंने सिर्फ 3 बार जीत हासिल की। उन्हें पहली बार 1984 में कांग्रेस के पृथ्वी चंद किस्कू ने हराया था। 1998 और 1999 के चुनावों में भाजपा के बाबूलाल मरांडी ने उन्हें हराया।
इन नेताओं के 2024 का चुनाव लड़ने पर अभी भी है सस्पेंस बना
चुनाव लड़ने पर शिबू सोरेन, बाबूलाल मरांडी, सुदर्शन भगत और हेमलाल मुर्मू भी संशय में हैं। 2009 से अबतक लगातार तीन बार लोहरदगा लोकसभा सीट से विजेता सुदर्शन भगत इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनकी जगह पार्टी ने राज्यसभा सदस्य समीर उरांव को टिकट दिया है।
![Dumka News: क्या सच में हेमंत सोरेन लड़ेंगे 2024 का चुनाव ? 3 दुमका का दंगल](https://joharupdates.com/wp-content/uploads/2024/03/%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B2--1024x576.webp)
2019 में, बाबूलाल गठबंधन के तहत उनके पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे थे। वे झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष थे उस समय। बाबूलाल ने पिछली लोकसभा चुनाव कोडरमा से झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर लड़ा था, लेकिन अन्नपूर्णा देवी से हार गए। BJP में फिर से शामिल होने के बाद वे वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष हैं।
झारखंड के दूसरे कद्यावर नेता हेमलाल मुर्मू भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। 2004 में, इस क्रूर नेता ने राजमहल संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की थी। हालाँकि, ये 2014 में JMM छोड़कर BJP में शामिल हो गए और 2014 और 2019 में राजमहल से चुनाव लड़ा, लेकिन असफल रहे। इन्हें लगभग 9 वर्ष बाद JMM में वापस लाया गया है। JMM के विजेता हांसदा को राजमहल से ही इस बार भी टिकट मिलने की उम्मीद है, जहां से वे लगातार 2 बार चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में हेमलाल का चुनाव लड़ना संशयपूर्ण है।
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लक्ष्मण और जगरनाथ दोनों नजर नहीं आएंगे इस बार चुनाव में।
झारखंड के 2 अन्य बड़े नेताओं ने भी कई बार लोकसभा चुनाव जीते हैं। दोनों की मृत्यु से इस बार वे चुनावी मैदान में नहीं होंगे। इनमें लक्ष्मण गिलुवा, जो सिंहभूम संसदीय सीट से चुनाव लड़ता है, और जगरनाथ महतो, जो गिरिडीह से पिछले 2 बार चुनाव जीता है। कोरोना ने दोनों को मार डाला।
याद रखें कि गिलुवा ने 1999 और 2014 में सिंहभूम से BJP के टिकट पर जीत हासिल की थी। हालाँकि, 2004 और 2019 में उनकी कांग्रेस प्रत्याशी बागुन सुम्ब्रई और गीता कोड़ा ने क्रमश: पराजय भोगी। वहीं, जगरनाथ महतो ने 2014 और 2019 में दो बार गिरिडीह से JMM के टिकट पर चुनाव जीता था।लेकिन वे दोनों बार जीत नहीं पाए।
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