Lohardaga: लोहरदगा जिला स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत 92 पदों में 58 पर चिकित्सक हैं। जिनमें से 16 डॉक्टर महिला रोगों में माहिर हैं। सदर अस्पताल में पांच महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सक हैं; कुडू सीएचसी में चार; किस्को सीएचसी में चार; भंडरा सीएचसी में दो; और सेन्हा सीएचसी में एक महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सक है। जिले में अधिकांश सीएचसी, पीएचसी, जीएनएम और एएनएम हैं।
![Lohardaga News: स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत 58 चिकित्सक में से 16 महिला रोगो के विशेषज्ञ चिकित्सक हुए शामिल 2 महिला रोगो के विशेषज्ञ चिकित्सक](https://joharupdates.com/wp-content/uploads/2024/01/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8B-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B7%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E-%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A4%95-2-1024x576.webp)
PCHS में महिला रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। महिला चिकत्सकों की कमी से कई बार प्रसूताएं होती हैं। उनके पास निजी क्लीनिकों की मदद चाहिए। प्रसूताओं को कभी-कभी रांची के निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है क्योंकि उनकी हालत खराब है। जिले के पीएचसी में प्रसव की स्थिति विभिन्न है।महिलाएं जो गर्भवती हैं, सीएचसी या सदर अस्पताल में भर्ती होती हैं।
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गर्भवती महिला के परिजनों का गुस्सा अक्सर चिकित्सकों को भी झेलना पड़ता है क्योंकि उनके पास पर्याप्त चिकित्सकों की कमी है। दैनिक रूप से चार से पांच बच्चे सदर अस्पताल में और सीएचसी में एक से दो होते हैं।
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गर्भवती महिला लक्ष्मी देवी और समीरा खातून का कहना है कि मामले में महिला रोग विशेषज्ञ की कमी से परेशानी होती है, इसलिए अमीर लोग निजी क्लीनिकों का ही सहारा लेते हैं। विपन्न लोग सरकारी अस्पताल पर भरोसा करते हैं।
मामले में सिविल सर्जन डॉ. राजमोहन खलखो ने कहा कि सदर अस्पताल सहित सभी सीएचसी में लेबर रूम हैं, जो आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। जहां महिला चिकित्सकों की नियुक्ति भी हुई है गर्भवती महिलाओं की जांच और डिलिवरी के लिए महिला चिकित्सक पदास्थापित हैं, हालांकि चिकित्सकों की कमी है।
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