Simdega News: एक अनोखा दृश्य सिमडेगा का अनोखा मजार, जहां पुलिस वाले चढ़ाते हैं पहला चादर
Simdega: अब तक आपने वर्दीधारी पुलिसकर्मियों को थाना क्षेत्र में अपराध को नियंत्रित करते हुए और अपराधियों को गिरफ्तार करते देखा होगा। लेकिन आज हम मजार पुलिस स्टेशन परिसर के बारे में बताएंगे। विशेष रूप से, थाना क्षेत्र में बने मजार पर भी उर्स की रौनक है। जहां पुलिस चादर पहले चढ़ाती है जायरीन और अंजुमन इसके बाद आते हैं और सिर झुकाते हैं।
पूरी बात जानें ?
सिमडेगा में एक विचित्र मंदिर है। जहां थाना क्षेत्र में मंदिर बना हुआ है। तीर्थयात्रियों और पुलिस ने एक साथ सिर झुकाया। जी हां, आपने अब तक कई कब्रें देखा होगा। लेकिन सिमडेगा के कोलेबिरा थाना क्षेत्र में स्थित बाबा अंजन पीर शाह की मजार अपने आप में एक अलग मजार है। यह शायद थाना क्षेत्र में पहली मजार है। जहां पुलिस परिवार हर साल उर्स पर पहली चादर चढ़ाता है। बाबा की इस समाधि की सबसे खास बात यह है कि यह थाने की पुरानी इमारत के अंदर बना है। जहां मजार के बगल के कमरों में वायरलेस और थाने का मालखाना काम करता है।
इसके कारण ये हैं
माना जाता है कि 1911 में ब्रिटिश शासन में शुरू हुई उर्स आज भी जारी है। पुलिस परिवार यहां शुरू से ही उर्स के मौके पर मजार पर पहली चादर पोशी करता है। इस दरगाह पर हर धर्म के लोग उर्स के मौके पर आते हैं। कोलेबिरा थाना क्षेत्र में स्थित इस मजार का संबंध बहादुर शाह जफर के शासनकाल से है। यहां के मौलाना ने बताया कि शुफी इसाकियामुद्दीन बहादुर शाह जफर के शासनकाल में कोलेबिरा आया था। लेकिन यहीं वे मर गए। उन्हें यहीं दफनाया गया। ब्रिटिश शासन के दौरान 1911 में कोलेबिरा में पुलिस थाना बनाने के लिए उसी स्थान पर खुदाई शुरू हुई, जहां शुफी का मजार था. लेकिन बाबा ने काम करने वालों और उस समय के अंग्रेज अधिकारी को बताया कि वह वहाँ था। बाबा की समाधि को थाना भवन के ही एक कमरे में अंग्रेज अधिकारी ने बनाया। तब से यहां हर वर्ष उर्स होता आ रहा है। कोलेबिरा पुलिस ने आज भी पहला पत्र जारी किया।
थाना परिसर में मजार होने से पुलिस और मजार पर आने वाले जायरीनों को कोई परेशानी नहीं होती। आसपास के लोगों का कहना है कि इस मजार पर मन्नत मांगने और पीर बाबा की कृपा से हर मनोकामना पूरी होती है। झारखंड सहित आसपास के राज्यों से लाखों लोग दो दिनों तक चलने वाले इस उर्स में आते हैं और चादरपोशी कर दुआएं मांगते हैं। गंगा-जमुनी तहजीब की सबसे बड़ी मिसाल यहां पीर शाह की मजार है। जो दरबार में आस्था की जगह धर्म लेता है
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