Dhanbad News: नगर निगम चुनाव फिर से होने की संभावना, मेयर का चुनाव लड़ने के लिए कई लोगों ने देखा था सपना
Dhanbad: झारखंड सरकार ने धनबाद में मेयर बनने का सपना देख रहे नेताओं को कड़ा झटका दिया है। धनबाद मेयर पद अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। सरकार के इस निर्णय से धनबाद में कई प्रमुख नेता निराश हैं। धनबाद नगर निगम का कार्यकाल 20 जून 2019 को समाप्त हो गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर लगभग साढ़े चार वर्ष बाद नगर निगम चुनाव होने की संभावना फिर से जगी है।
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धनबाद के मेयर पद पर दावेदारों की एक विस्तृत सूची है। इसमें पहले नाम पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल है, लेकिन सरकार के निर्णय के बाद वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। ठीक उसी तरह विधायक ढुलू महतो की पत्नी सावित्री देवी, जो अपने आप को मेयर चुनाव में दावेदार घोषित कर चुकी थी, भी अब सपना ही रह जाएगा।
पूर्व में इंदू देवी ने कुछ दिन पहले चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन सीट आरक्षित होने के कारण वह भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। टुंडी विधायक मथुरा महतो के पुत्र दिनेश महतो और आजसू जिलाध्यक्ष मंटू महतो का नाम भी सूची में था, लेकिन राज्य सरकार के फैसले से दोनों को निराशा हुई होगी।
एससी नेताओं की मांग बढ़ जाएगी
यद्यपि मेयर पद का चुनाव दलगत आधार पर नहीं होता है, लेकिन हर राजनीतिक पार्टी सक्रिय रूप से भाग लेती है। धनबाद मेयर की सीट एससी को आरक्षित होने के बाद एससी नेताओं से राजनीतिक दलों में अधिक मांग होगी।
मेयर पद पर तीन बार बदले गए आरक्षण
झारखंड सरकार ने म्यूजिकल चेयर को राज्य का मेयर बनाया है। धनबाद में मेयर पद का आरक्षण तीसरी बार बदल गया है। 2021 में धनबाद सीट पहली बार ओबीसी के लिए आरक्षित थी, लेकिन 2022 के नवंबर में इसे महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया। SC अब इस पद पर है।
नगर निगम चुनाव के पुनर्गठन की संभावना
धनबाद में मेयर का चुनाव लड़ने के लिए कई लोगों ने सपना देखा था।लेकिन अब यह शेड्यूल कास्ट के लिए सुरक्षित है। धनबाद नगर निगम का कार्यकाल 20 जून 2019 को समाप्त हो गया है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम चुनाव फिर से होने की संभावना बढ़ गई है। धनबाद के मेयर पद पर दावेदारों की एक विस्तृत सूची है।
इसका पहला नाम पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल है। लेकिन सरकार के नवीनतम फैसले के बाद वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा। यही कारण था कि विधायक ढुल्लू महतो की पत्नी सावित्री देवी भी मेयर चुनाव में दावेदार थी। अब यह भी उनके लिए संभव नहीं होगा।
कुछ दिन पहले, पूर्व मेयर इंदु देवी ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। लेकिन आरक्षित सीटों पर भी वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगी।टुंडी विधायक मथुरा महतो के बेटे दिनेश महतो भी चुनाव में थे, लेकिन अब उनके लिए भी नहीं है।
ऐसा ही आजसू जिला अध्यक्ष मंटू महतो का भी नाम था, लेकिन झारखंड सरकार के फैसले ने इन्हें भी निराश कर दिया है।वियाडा के पूर्व अध्यक्ष विजय झा भी चुनाव की तैयारी में थे।उन्हें भी नुकसान हुआ है।
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धनबाद का मेयर पद शेड्यूल के लिए आरक्षित है
झारखंड में मेयर चुनाव दलीय आधार पर नहीं होता है। लेकिन राजनीतिक पार्टियां इसमें अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से शामिल रहती हैं। अब शेड्यूल कास्ट पार्टियां उम्मीदवार की तलाश करेंगी। पार्टियां उम्मीदवारों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देंगी, हालांकि सीधे नहीं।
धनबाद का मेयर पद शेड्यूल कास्ट के लिए रखा जाना भी लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर प्रभाव डालेगा। अब विधानसभा और लोकसभा चुनावों में उम्मीदवारों की संख्या बढ़ जाएगी। सीटिंग विधायकों पर भी दबाव रहेगा।