Lohardaga News: लोहरदगा प्रांगण में आज हुआ फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजन
Lohardaga: शनिवार को सदर अस्पताल लोहरदगा प्रांगण में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (एमडीए)-2024 का शुभारंभ हुआ। DC डॉ. वाघमारे कृष्ण प्रसाद ने 25 फरवरी तक चलनेवाले इस अभियान की शुरूआत 13 वर्षीय किशोर को डीसी और एल्बेण्डाजॉल की दवा देकर की।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी, जैसे सिविल सर्जन डॉ राजमोहन खलखो, डॉ डीएन सिंह और एपिडेमियोलॉजिस्ट प्रशांत चौहान, कार्यक्रम में उपस्थित थे।
10 फरवरी को बूथ स्तर पर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. 11 से 25 फरवरी तक, लक्षित लोगों को उम्र के अनुसार डीईसी और अल्बेन्डाजोल की एक-एक खुराक दी जाएगी।
इस बार लोहरदगा जिले में लगभग पांच लाख उनसठ हजार दो सौ छियासी को दवा देने का लक्ष्य है। इसके लिए राज्य में 717 बूथ बनाए गए हैं। लगभग 1500 कर्मचारियों को सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में दवा देने का काम दिया गया है।
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फाइलेरिया को दूर करने की कोशिश की जा रही है। यह दवा एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए। 1-2 वर्ष के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली पानी में मिलाकर नहीं देनी चाहिए। 1-5 वर्ष के बच्चों को एक DC और एक एल्बेंडाजोल खिलाया जाएगा।
6–14 वर्ष के बच्चों-किशोर-किशोरियों को दो डीईसी और एक एल्बेंडाजोल की दवा दी जाएगी। 15 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को 3 डीईसी और 1 एल्बेंडाजोल की गोली दी जाएगी। दवा के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं। यह दवा गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमार व्यक्तियों को नहीं दी जानी चाहिए। दवा को खाली पेट नहीं जायेगा ।
फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से प्रभावित अंगों जैसे हाइड्रोसिल और हाथ पांव फूलते हैं। क्यूलेक्स मच्छरों से फैलने वाले बेनकापटी रोगाणु फाइलेरिया वूचेरिया का कारण है। क्यूलेक्स मच्छर गंदे पानी में रहते हैं।
फाइलेरिया का उपचार डीईसी गोली से किया जाता है, जो एक बहुत ही प्रभावी और सटीक उपचार है।यदि सभी लोगों को वर्ष में एक बार डीईसी और अलबेण्डाजोल की एक खुराक दी जाए, तो 80 से 90 प्रतिशत तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्र में दो से पांच वर्षों तक वर्ष में एक बार लक्षित व्यक्तियों को डीईसी और एल्बेंडाजोल की दवा दी जा सकती है, जिससे फाइलेरिया पर नियंत्रण पाया जा सकता है। फाइलेरिया रोगाणु करोड़ों माइक्रोफाइलेरिया रोगाणुओं को जन्म देते हैं।
माइक्रोफाइलेरिया के रोगाणुओं को समुदाय में फैलने से रोका जा सकता है, मच्छरों द्वारा अन्य स्वस्थ लोगों को संक्रमण से बचाया जा सकता है।
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