Hazaribagh: विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग की कुलपति सह आयुक्त सुमन कैथरीन किस्पोट्टा ने वरीय अधिकारियों और संकायाध्यक्षों के साथ एक बैठक की। बैठक लगभग दो घंटे चली, जिसमें कई लंबित मुद्दों को चिह्नित किया गया था और उनके त्वरित समाधान के लिए मार्गदर्शन दिया गया था। कुलपति ने स्पष्ट निर्देश दिए कि अवकाश प्राप्त शिक्षक और कर्मचारियों की पेंशन से संबंधित सभी लंबी समस्याओं को निष्पादित कर, दुर्गा पूजा के अवकाश से पहले उन्हें पेंशन का भुगतान शुरू किया जाए।
यह भी निर्णय लिया गया कि अगले छह महीने में अवकाश पाने वालों के सभी कागजात जल्दी से तैयार किए जाएं, ताकि उनका पेंशन समय पर शुरू हो सके। कुलपति ने शोध से संबंधित लंबित मामलों की समीक्षा करने के बाद परीक्षा नियंत्रक को निर्देश दिया कि डीट-2022 का अंतिम परिणाम जल्दी प्रकाशित किया जाए और पीएचडी कोर्स वर्क की लंबित परीक्षा जल्दी ही आयोजित की जाए।
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यह भी निर्णय लिया गया कि डीट-2022 की मौखिक परीक्षा और पाठ्यक्रम निर्धारण के लिए दूसरे विश्वविद्यालयों से आए विषय विशेषज्ञों का मानदेय निर्धारण शीघ्र किया जाएगा। न्यायालय ने विश्वविद्यालय से संबंधित वादों के संबंध में निर्देश दिया कि वे सात दिनों के भीतर तथ्य-विवरणी बनाएं।

नई शिक्षा नीति का ध्यान
कुलसचिव को नई शिक्षा नीति 2020 के तहत नए पाठ्यक्रमों पर आधारित पुस्तकों के क्रय से संबंधित नियमों का निर्धारण करने के लिए विश्वविद्यालय पुस्तकालय समिति को पुनर्गठित करने और उसकी बैठक बुला लेने का निर्देश दिया गया। विषय के पाठ्यक्रम निर्धारण समिति को बीएड विद्यार्थियों की मांग को देखते हुए दो वर्षीय पाठ्यक्रम में दो शिक्षण-शास्त्र विषय जोड़ने की अनुमति दी गई।
कुलपति ने कहा कि आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी जल्दी दी जाए और प्रावधानों के अनुरूप वही जानकारी दी जाए। यह स्पष्ट किया गया कि भविष्य में कोताही बरतने पर विभाग और संभाग के अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार होंगे।
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लंबित प्रक्रिया पूरा करने के लिए दिशानिर्देश
लंबित प्रक्रिया को विश्वविद्यालय मुख्यालय परिसर में स्थित प्रशासनिक भवन, कलाभवन और विज्ञान भवन प्रथम के जीर्णोद्धार कार्य को 10 दिनों के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया गया। पतरातू महाविद्यालय को वरीयता संबंधी विवाद को हल करने के लिए जल्द ही वेतन देने की व्यवस्था की जाए। निर्देश दिया गया कि किसी भी विद्यार्थी को सीएलसी तुरंत उपलब्ध कराई जाए, इसके बजाय महाविद्यालय परित्यागपत्र देने के एवज में अतिरिक्त शुल्क मांगे जाने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए।