जनजाति टोले में सड़क नहीं है, बच्चे साल में तीन महीने स्कूल नहीं जाते
पूर्व एसडीओ आलोक कुमार ने करीब दो साल पहले टोले में आकर यहां की समस्याओं का निरीक्षण किया था। तब बीडीओ और मुखिया को इस टोले में सड़क बनाने का आदेश दिया गया। इसके बावजूद, इस टोले में अभी तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ है।
गढ़वा जिले के धुरकी प्रखंड के खाला गांव के भंवरही टोले में आदिम जनजाति के लगभग 25 परिवार रहते हैं। यहां बिजली और पानी की सुविधाएं हैं, लेकिन आजादी के बाद से सड़क नहीं बनाई गई है। इस टोले के लगभग बीस से चालीस नामांकित बच्चे बरसात के तीन महीने तक स्कूल नहीं जा पाते।
ग्रामीणों का कहना था कि इस टोले में सड़क नहीं है। यही कारण है कि बरसात के दिनों में पगडंडी पर चलना पड़ता है। बच्चों को पगडंडी के किनारे झाड़ी के बीच से गुजरना पड़ता है। इसलिए, बरसात के दिनों में अभिभावक बच्चों को रास्ते में विषैले सांप के डर से स्कूल नहीं जाने देते। बच्चों की पढ़ाई करीब तीन महीने तक बाधित रहती है। पूर्व एसडीओ आलोक कुमार ने करीब दो साल पहले टोले में आकर यहां की समस्याओं का निरीक्षण किया था।
तब बीडीओ और मुखिया को इस टोले में सड़क बनाने का आदेश दिया गया। इसके बावजूद, इस टोले में अभी तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। इस टोले से मध्य विद्यालय लगभग दो किलोमीटर दूर है। यहाँ बच्चे पगडंडी पर चलकर स्कूल जाते हैं। टोले के फलिंगर कोरवा,
मनदीप कोरवा, टुभु कोरवा और कईल कोरवा ने बताया कि बरसात के दिनों में बच्चों को स्कूल नहीं भेजते क्योंकि तब झाड़ी काफी बढ़ जाती है। उन्हें बच्चों के आने-जाने की चिंता रहती है। जब झाड़ी कम हो जाती है, तब बच्चे स्कूल जाने लगते हैं।
बरसात में गाड़ी नहीं आ सकती
उनका कहना था कि अगर इस टोले में कोई बीमार हो जाता है, तो लोगों को करीब दो किलोमीटर दूर मुख्य सड़क पर जाकर गाड़ी पकड़कर अस्पताल पहुंचना होता है। वाहन गर्मियों में आसानी से यहां पहुंच सकते हैं, लेकिन बरसात के दिनों में ऐसा नहीं होता। उन लोगों ने ग्रामसभा में कई बार सड़क बनाने की मांग की, लेकिन अब तक सड़क नहीं बनाई गई।
सड़क बनाई जाएगी: B.D.O
इस संबंध में पूछे जाने पर बीडीओ जुल्फिकार अंसारी ने कहा कि ग्रामीण लिखित आवेदन दें कि उनके पास कोई समस्या है। BDO ने कहा कि भंवरही टोले में सड़क को किसी न किसी सामग्री से बनाया जाएगा।