जमशेदपुर में मिला ‘डेंगू का एक नया वेरिएंट’ भुवनेश्वर में सैंपल की होगी जांच : अब तक 11 लोगों की मौत
परीक्षण ने बताया कि इस बार डेंगू का वायरस अलग है। वह मल्टी आर्गन को तेजी से नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए, नए वेरिएंट का पता लगाने के लिए सैंपल को भुवनेश्वर भेजना पड़ा।
जिले में डेंगू के सबसे ज्यादा मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग चिंतित है। स्वास्थ्य विभाग की टीम मंगलवार को रांची से जमशेदपुर पहुंची। रिम्स के मेडिकल विभाग के डॉ. अजीत डुंगडुंग, डॉ. दिवेश, संज्ञा सिंह, मनोज सिंह और डॉ. रंजन वर्णवाल टीम में शामिल थे। टीम ने डीडीसी मनीष कुमार, सिविल सर्जन डॉ. जुझार मांझी सुमित और अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक बैठक की। इसके बाद टीएमएच चली गई। वहाँ डेंगू के इलाज और अबतक डेंगू से मरने के कारणों की जानकारी ली गई। उस समय टीम ने पता चला कि टीएमएच में अब तक डेंगू से 11 मरीज मर चुके हैं। इनमें छह मरीज डेंगू के अलावा अन्य बीमारी से पीड़ित थे। दो मरीज डेंगू शॉकक सिंड्रोम से मर गए, और दो मरीज दो से तीन घंटे के अंदर मर गए। टीम ने भी पाया कि इस बार डेंगू का वायरस अलग था। वह मल्टी आर्गन को तेजी से नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए, डेंगू के नए रूपों को जानने के लिए सैंपल को भुवनेश्वर भेजना पड़ा। सिविल सर्जन डॉ. जुझार माझी ने बताया कि चार प्रकार के डेंगू होते हैं। इसलिए, यहां एक्टिव वायरस कौन सा है? इसकी जांच होनी चाहिए।
डेंगू रोकथाम के उपायों की भी सूचना
टीम ने रोकथाम के उपायों को पूछा। डेंगू के मरीज कहाँ पाए जाते हैं? वहाँ विभाग ने क्या किया? सिविल सर्जन ने टीम को बताया कि विभाग ने डेंगू को रोकने के लिए कई प्रयास किए हैं। जिस घर में डेंगू के मरीज हैं, वहां ठंडा परीक्षण किया जाता है। आसपास जांच चल रही है। विभाग घरों की जांच कर रहा है और कितने लार्वा मिले हैं, इसका डाटा बनाया जा रहा है। इस समय जुस्को के पास घरों में फॉगिंग करने वाली 18 मशीन हैं।
मरीजों का इलाज करने वाले झोलाछाप चिकित्सक
शहर में डेंगू मरीजों का भी इलाज झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। मरीजों को स्टेरायड और हाई एंटीबायोटिक दी जा रही हैं, जो भारी नुकसान का कारण बन सकते हैं। IMMA जमशेदपुर शाखा ने ऐसे झोलाछाप चिकित्सकों पर कार्रवाई की मांग की है। IAMA के सचिव डॉ. सौरभ चौधरी ने बताया कि शहर में डेंगू के मरीजों की संख्या इन दिनों बढ़ गई है। इसलिए झोलाछाप डॉक्टर भी सक्रिय हैं। शहर में दस से अधिक झोलाछाप चिकित्सक खुलेआम मरीजों का इलाज कर रहे हैं। यह सूची पहले जिला प्रशासन को दी गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। शंकोसाई के खड़िया बस्ती में डेंगू से पीड़ित प्रियंका कुमारी का पहला इलाज झोलाछाप डॉक्टर ने किया था। बाद में उसकी हालत बिगड़ गई, इसलिए उसका परिवार उसे टीएमएच ले गया, जहां वह कुछ घंटे बाद मर गया। डॉ. चौधरी ने कहा कि अगर कोई बीमार है तो वह अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र, सदर अस्पताल या एमजीएम जाए। अगर आप एक निजी चिकित्सक के पास जा रहे हैं तो उसकी डिग्री के बारे में जानकारी अवश्य लें।
डेंगू से निपटने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है
मानगो नगर निगम ने डेंगू की रोकथाम के लिए हेल्पलाइन नंबर (8580357379) जारी किया है। इन नंबरों पर जल जमाव, डेंगू की शिकायतें और एंटी लार्वा छिड़काव के बारे में कुछ भी बताया जा सकता है। कार्यपालक पदाधिकारी सुरेश यादव ने बताया कि जलजमाव, डेंगू की शिकायतें और एंटी लार्वा छिड़काव की जानकारी इस नंबर पर फोन करके दे सकते हैं।
हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों को 24 घंटे के भीतर हल करने की कोशिश की जाएगी।
डेंगू के आठ नए मरीजों की संख्या एक हजार से अधिक है।
मंगलवार को जिले में डेंगू के आठ नए मरीज मिले हैं। इन मरीजों को शहर के कई अस्पतालों में इलाज दिया जा रहा है। जिले में अब तक 7372 लोगों की जांच की गई है, जिसमें 1002 लोगों में डेंगू पाया गया है। इस समय, शहर के अस्पतालों में 275 मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनमें 10 आइसीयू और 265 नॉर्मल वार्ड हैं। मंगलवार को 65 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दी गई।