Gumla News: जाने कैसे गुमला के एक गांव के लोगो ने बदली अपनी किस्मत
Gumla: गुमला जिले में स्थित बिशुनपुर कृषि विज्ञान केंद्र ने आदिम जनजातियों के जीवन को सुधारने की कोशिश कर रहा है। धीरे-धीरे, इस इलाके में जिन गरीब आदिवासी परिवारों को कभी 2 शाम का भोजन भी नहीं मिल पाता था, वे रोजगार और स्वरोजगार के माध्यम से अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं।
इस इलाके में जिन गरीब आदिवासी परिवारों को कभी दो शाम का भोजन भी नहीं मिल पाता था, वे रोजगार और स्वरोजगार के माध्यम से अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं। उनका जीवनस्तर सुधर रहा है। इन परिवारों के बच्चे अच्छे शिक्षण संस्थानों में पढ़ेंगे। आर्थिक स्थिति में सुधार और रोजगार के अवसरों के बढ़ने से पलायन भी रोका गया है। स्वयंसेवी संस्था विकास भारती बिशुनपुर कृषि विज्ञान केंद्र गुमला चलाता है। इसकी कोशिशें सफल हो रही हैं।
वह के महिलाओ को भी मिला रोजगार
यहां कृषि विकास केंद्र में आदिम जनजाति परिवार की महिलाएं प्रशिक्षण लेकर जैविक खाद बना रही हैं। वहीं, बहुत सी महिलाएं मशरूम की खेती करती है । ये भी घर के आसपास सब्जी और वनौषधियों की खेती कर अच्छी पैसे कमा रहे हैं। केंद्र की मदद से गुमला जिले के बिशुनपुर और घाघरा प्रखंड के कई गांवों में रहने वाले आदिम जनजाति परिवारों का जीवन बहुत बदल गया है। 15 जनवरी को PM नरेन्द्र मोदी ने आदिम जनजाति परिवारों से मुलाकात की।
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मोटे दाने के अनाज को दे रहे है बढ़ावा
लगभग 1650 परिवार आदिम जनजाति के हैं, बिशुनपुर प्रखंड के केवीके निदेशक संजय पांडेय ने बताया। इनमें बिरिजिया, कोरबा,बिरहोर, असुर,और पहाड़िया जाति के लोग शामिल हैं। इनकी स्थिति पिछले कुछ समय में बहुत बदल गई है। KVK किसानों को खाद-बीज, कृषि उपकरण और उन्नत तकनीक और प्रशिक्षण देता है।
लोगों को मोटे अनाज की खेती करने के लिए भी लगातार प्रेरित किया जाता है। ज्वार, रागी और मक्का इसके मुख्य उत्पाद हैं। इसके अलावा सरगुजा भी बोया जाता है। इन लोगों को अब ड्रोन से कीटनाशकों का छिड़काव करने का भी प्रशिक्षण दिया गया है।
ग्रामीणों के पास कम जमीन है। इसलिए, उनकी आय को बढ़ाने के लिए इस बात पर भी ध्यान दिया जाता है कि किसानों को कम जगह पर अधिक उत्पादन मिल सके। लोगों के घरों के आसपास आम, पपीता, अनार, नाशपाती जैसे फलों के पेड़ भी लगाए गए हैं।
साथ ही, ग्रामीणों को मछली, बत्तख, बकरी और मुर्गी पालन के लिए प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान करके उनकी आर्थिक स्थिति सुधारी जा रही है। लोगों को भी मटर की खेती से अच्छी आय मिल रही है। जैसा कि संजय पांडेय बताते हैं, लोगों में स्वावलंबी बनने की अधिक इच्छा है।