Koderma: साल 2024 का आज महिला दिवस है और चर्चा उन महिलाओं की हो रही है जो खुद को आत्मनिर्भर बनाने के अलावा दूसरों को भी आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया है। कोडरमा की अंजू देवी भी ऐसी ही है। पति से अलग होने के बाद महावीरी झंडा और पताके बनाकर पैसे कमाती हैं और दूसरी महिलाओं को स्वरोजगार की शिक्षा देती हैं।
कई लोगों को करा रही है रोजगार उपलब्ध
![Koderma News: बेटी होने पर पति ने दिया था छोड़, कोडरमा की अंजू ने कुछ यूं बदली अपनी किस्मत जाने पूरी खबर ? 2 कोडरमा की अंजू देवी द्वारा कई लोगो को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।](https://joharupdates.com/wp-content/uploads/2024/03/%E0%A4%95%E0%A4%88-%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%B2%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A7--1024x576.webp)
कोडरमा के झुमरी तिलैया में रहने वाली अंजू देवी पिछले 15 सालों से महावीरी झंडा और पताके बनाती है, साथ ही देवी देवताओं के कपड़े और जैन और मुस्लिम धर्मों से जुड़े धार्मिक कपड़े बनाती है। अंजू अकेले नहीं है; वह अपने आसपास की आठ महिलाओं को भी काम देती है।
आज से लगभग 18 साल पहले, अंजू ने अपनी बेटी को जन्म दिया, जिसके बाद उनका पति उन्हें बेसहारा छोड़कर चला गया। वह पहले किसी और के लिए महिलाओं का कपड़ा तैयार करती थी, लेकिन अंजू ने बाद में खुद का व्यापार शुरू कर दिया और अपनी बचत से महावीरी झंडे और पताके बनाने लगी। अंजू बताती है कि अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान अंजू की बिक्री चार गुना बढ़ गई थी।
अपनी बेटी को बनाना चाहती है अफसर
![Koderma News: बेटी होने पर पति ने दिया था छोड़, कोडरमा की अंजू ने कुछ यूं बदली अपनी किस्मत जाने पूरी खबर ? 3 अंजू देवी अपनी बेटी को पढ़ा लिखकर एक अफसर बनाना चाहती है।](https://joharupdates.com/wp-content/uploads/2024/03/%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%9F%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%85%E0%A4%AB%E0%A4%B8%E0%A4%B0-1024x576.webp)
अंजू अपनी बेटी अन्नू को पढ़ा लिखा कर एक बड़ा अफसर बनना चाहती है। अन्नू भी अपने मां का साहस और साहस प्रशंसा करती है। Annu बताती है कि उन्होंने बचपन से अपनी मां को इस सिलाई मशीन के साथ देखा है और इसी मशीन से उसकी परवरिश की है। उसने कहा कि जो भी गरीब महिला उसकी मां के पास आती है, उसे भी काम मिलता है।
पति से अलग होने के बाद अंजू को समाज का सहारा मिला। जब उसके उत्साह को पंख मिले, अंजू ने आसपास की महिलाओं और युवतियों को कलाकार बनाना शुरू किया। अंजू के काम में हाथ बांटने वाली एक महिला ने बताया कि आज वह कई महिलाओं का सहारा बन गई है, जो कभी खुद बेसहारा थी।
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