Jharkhand News: जिस गिद्धौर में पुरे साल होती थी खेती, जाने वो अफीम की वजह से कैसे हुई बदनाम?
Jharkhand: चतरा का गिद्धौर गांव जो हुआ कुछ कारणों की वजह से बदनाम , बताते चले की पहले गिद्धौर की धरती सोना उगलती थी ,यहां के खेत खलियान फसलों से भरे रहते थे यहां के किसानो को कभी फुरसत नहीं मिलती क्युकी पुरे साल इन्हे खेतो को अपने पसीना से सींचना पड़ता किसानो की मेहनत और उनका पसीना और सही समय पर हुई बारिश ये तीन चीज़े रंग लाती और खेत हरे भरे फसल से ले लिहा उठते। और गिद्धौर की धरती कभी धान उपजाति तो कभी गेहूं तो कभी सरसो तो कभी साग गिद्धौर में तरह तरह की फसलों की खेती की जाती थी।
और यहां हर मौसम में खेती की जाती थी। फिर यहां प्राकृतिक की मार पड़ी मार ऐसी की कृषि के लिए कभी विख्यात ये गांव नशे की खेती के लिए बदनाम हो गया। और अफीम गिद्धौर की पहचान बन गई, कहते है की मानसून का मौसम झारखण्ड से रूठ गया और इसका असर गिद्धौर पर ज्यादा पड़ा ,सरकारी उदासीनता ऐसी की सिंचाई की सुविधा भी नहीं मिली इसी कारन किसान परेशान थे। इसी दौरान किसी ने यहां के किसानो को अफीम और पुस्ता उगाने की सलाह दे डाली खा की इससे बहुत ही स्वादिस्ट चटनी बनती है।
अफीम की खेती के लिए किसानो को कुछ लोगो द्वारा बोला गया था
और इसके मार्किट में भारी डिमांड है, परिणाम से अनजान गिद्धौर गांव के किसानो ने अफीम उगना शुरू कर दिया , अफीम की खास बात ये है की उससे ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती है। साथ ही साल में ,कई बार इसकी खेती की जा सकती है बताया जाता है की गिद्धौर में पहले कुछ ही किसानो ने अफीम उगाना शुरू किया।
और जब इसका लाभ दिखने लगा तो बाकि किसान भी इसकी खेती शुरू कर दिया। बहुत तेज़ी से उनकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी. कच्चे मकान में रहने वाले लोग पक्के मकान बनाने लगे। धीरे धीरे आस पास के इलाको में भी अफीम की खेती की जाने लगी, जब कुछ आसामान्य लगने लगा तो पुलिस को पता चला की गिद्धौर में पड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जा रही है तो फिर क्या था पुलिस ने अफीम की फसल को नस्ट करना शुरू किया।
अफीम की खेती न करने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया
पुलिस ने अफीम की खेती नस्ट की तो किसान आक्रोशित हो गए और करवाई का विरोध करने लगे और पुलिस किसानो में झड़प हो गई दावा है की इसमें 27 लोग जख्मी हो गए। जिसके बाद जिला प्रशासन ने किसानो को समझाया की अफीम नसे के लिए इस्तेमाल होता है। इसे लेकर किसानो के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया। जिसके बाद एक सवाल निकल कर आती है की किसान पहले जैसा अपने खेती के प्रति जागरूक हो पायेंगे।
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