कोल्हान वन क्षेत्र के ग्रामीण नक्सलियों से छुटकारा चाहते हैं – किरीबुरु
Kiriburu (Jamshedpur): गोईलकेरा प्रखंड के कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र में स्थित लाजोरा, चिनीबारी, बोरोय, कारा, खजुरिया, रेला, पराल और अन्य ग्रामीण भाकपा गांव माओवादी नक्सलियों से सबसे अधिक प्रभावित हैं। इन गांवों के लोगों के सामने एक तरफ कुआं है, और दूसरी तरफ खाई है। लाजोरा गांव, गोईलकेरा प्रखंड के आराहासा पंचायत में है, जिला मुख्यालय चाईबासा से लगभग 64 किलोमीटर दूर है। यह गांव अनुसूचित जनजाति का है। इस गांव में लगभग 150 परिवारों का निवास है। 800 लोग यहाँ रहते हैं। पुरुषों और महिलाओं का अनुपात लगभग समान है।
24 घंटे तक नक्सलवादी गतिविधि जारी रहती है
हमारे गांवों और घने जंगलों में 24 घंटे नक्सलियों की गतिविधियां होती हैं, स्थानीय लोगों ने कहा। इन्हें सुबह से शाम तक देखना पड़ता है। ये नक्सली रात-दिन हथियारों के साथ सादे कपड़े या वर्दी में घूमते रहते हैं। दिन या रात कभी भी जंगलों में एक बैठक करते हैं और लोगों को वहाँ आने का आदेश देते हैं। न चाहते हुए भी इनके कार्यक्रम या बैठकों में जाना पड़ता है। कार्यक्रम और बैठक की तस्वीर और वीडियो बनाकर सार्वजनिक करते हैं।
नक्सली नहीं होते हुए भी इससे हमारी समस्या बढ़ जाती है और हम पुलिस के निशाने पर आ जाते हैं। गांव के कुछ लोगों ने इनके साथ मिलकर माहौल को बिगाड़ दिया होगा। रात की नींद और दिन का चैन दोनों समाप्त हो गए हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि बिना किसी गुनाह या अपराध के हाट-बाजार में जाने से उन्हें डर लगता है। कहीं नहीं कि पुलिस उन्हें नक्सली मानकर जेल में डाल दे। ग्रामवासी इस नक्सल समस्या को जल्द ही हल करना चाहते हैं, ताकि वे खुले और शांत वातावरण में जीवन बिता सकें। ग्रामीणों ने बताया कि हमारे क्षेत्र के जंगलों, पहाड़ों और सड़कों पर अनजाने में आईईडी लगाए गए हैं। मौत के साये में हर कदम रहना पड़ता है। नक्सल नहीं था तो हम ठीक थे। सारंडा की तरह ही वह भी अपने क्षेत्र में शांति चाहती है।