Hazaribagh News: एक बार फिर हजारीबाग में दोहराने वाला है पुराना इतिहास
Hazaribagh: हजारीबाग में अपने स्वार्थ के लिए दल बदलू नेताओं की कमी नहीं है। इन नेताओं को न तो हजारीबाग की प्रगति की चिंता है न ही आम लोगों की चिंता है। उन्हें सिर्फ वह पार्टी चाहिए जो उन्हें टिकट देता है और चुनाव जीतता है जिससे वह विधायक बन जाए और हजारीबाग के विकास के लिए उनके पास कोई नीति या विजन भी नहीं है। इन्हें सिर्फ “शक्ति” चाहिए। जीतने पर अपने पसंदीदा कार्यकर्ताओं को जहां चाहे सरकारी धनराशि दे दी।
भाजपा विधायक जेपी पटेल के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने और लोकसभा चुनाव में टिकट पाने के बाद हजारीबाग एक बार फिर चर्चा में आ गया है। दल बदलने वाले नेताओं की बात करें तो हजारीबाग में 1969 में पूर्व मुख्यमंत्री केबी सहाय ने दल बदल कर शुरू किया था। केवी सहाय कांग्रेस की मुरारजी पार्टी में शामिल हो गए जब पार्टी टूट गई। 1972 के विधानसभा चुनाव में राजा कामख्या नारायण सिंह ने जनसंघ में शामिल होकर अपनी पार्टी बदली।
1962 में राजा पार्टी से विधायक बने रघुनंदन राम ने बाद में कांग्रेस में शामिल हो गया। 1980 में वे कांग्रेस से हजारीबाग सदर के विधायक बने। 1962 में रघुनंदन राम, महेश राम, डॉ बसंत नारायण सिंह और निरंजन सिंह ने राजा पार्टी छोड़ दी और जनसंघ में शामिल हो गए। 1972 में रामेश्वर महथा, जो दो बार राजा पार्टी से विधायक रहे थे। फिर उन्होंने जनता पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव जीते।
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