झारो नदी पर्यटकों का आकर्षण
जमुआ प्रखंड में स्थित झारो नदी पर्यटकों को आकर्षित करती है। हर दिन सैकड़ों लोग यहां पिकनिक मनाने आते हैं।
जमुआ प्रखंड में स्थित झारो नदी पर्यटकों को आकर्षित करती है। हर दिन सैकड़ों लोग यहां पिकनिक मनाने आते हैं। यह नदी मिर्जागंज-पचंबा पथ के कुरुमटांड़ गांव से सिर्फ एक किमी पूरब में बहती है। लोग यहाँ पर्यटन का आनंद लेते हैं। काले पत्थर के चट्टानों के बीच निरंतर बहने वाले पानी से लोग आकर्षित होते हैं।
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शुरू से ही, युवा वर्ग झारो नदी का सुंदर दृश्य पसंद करता रहा है। झारो नदी मगहाकला, टीकामगहा पंचायत से लताकी क्षेत्र में उसरी नदी की ओर बहती है, प्रखंड के कुरुमटांड़ के निकट। इस नदी में पर्याप्त पानी है। लोग इसे प्रकृति का बड़ा चमत्कार समझते हैं। साल भर लोग झारो नदी पर आते रहते हैं, लेकिन दिसंबर से जनवरी में पिकनिक मनाने के लिए लोगों की भीड़ अधिक होती है।
मुक्तेश्वर धाम की तरह विकसित हो रहा
झारो नदी के जलस्रोत के स्थान पर एक शिवलिंग उकेरा गया था। पुराने समय से वहाँ भगवान शिव की पूजा की जाती रही है। 1962 में, लताकी निवासी अर्जुन प्रसाद सिन्हा ने अपनी पत्नी अनार देवी की स्मृति में वहाँ शिवालय बनाया। बाद में जगन्नाथडीह-मिर्जागंज निवासी जगदीश प्रसाद साहू ने हनुमान मंदिर बनाकर बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित की।
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आज राधाकृष्ण का मंदिर बनाया गया है। यहाँ प्राण की प्रतिष्ठा करने के लिए प्रतिमा बनाई जाएगी। मंदिर निर्माण समिति के सदस्यों में शामिल रहे जगदीश साहू, अर्जुन प्रसाद साव, कृष्णा साव, राजू साव, बालेश्वर सिंह, जयदेव सिंह और विष्णुदेव वर्मा ने बताया कि मिर्जागंज निवासी मोहन कुमार साहू ने मंदिर में मार्बल लगाया है। साथ ही जनसहयोग मिलता है। वहीं से दो मंजिला सरकारी किसान भवन भी बनाया गया है। झारो नदी में एक चबूतरा और चंद्र कूप भी बनाया गया है।