यहाँ ट्रैन के ड्राइवर को ही ट्रैन रोक-कर करना पड़ता है फाटक बंद
Jharkhand News देश में सेमी हाई स्पीड ट्रेन चल रही हैं, जैसे वंदे भारत। चारों ओर सुधार हो रहा है, लेकिन कुछ क्षेत्र काफी पीछे हैं। यहां, कोडरमा-गिरिडीह नई रेलवे लाइन पर कोडरमा के डोमचांच में बंगाईकला और मंझलीटांड़ में लोको पायलट खुद ट्रेन को रोककर नीचे उतरकर खोलते और बंद करते हैं।
कोडरमा के गजेंद्र बिहारी एक तरफ देश में बुलेट ट्रेन चलाने का मुद्दा है। वंदे भारत की तरह सेमी हाई स्पीड ट्रेन चल रही हैं।
साथ ही, कोडरमा-गिरिडीह नई रेल लाइन पर डोमचांच, कोडरमा जिले में बंगाईकला और मंझलीटांड़ में मानवरहित समपार फाटक है. यात्री ट्रेन से गुजरने से पहले चालक ट्रेन रोककर फाटक बंद करते हैं।
फिर फाटक पार करके फिर से ट्रेन रोकते हैं। इस बार सवार गार्ड पिछले डिब्बे में उतरकर फाटक के गेट को खोलते हैं। तब ट्रेन अपने लक्ष्य की ओर चलती है।
रूट पर प्रतिदिन तीन ट्रेनें चलती हैं
कोडरमा टाउन स्टेशन एक तरफ है और महेशपुर स्टेशन दूसरी तरफ है। यह रेलवे लाइन डोमचांच से बंगाईकला जाती है।
मंझलीटांड में डोमचांच-जयनगर रेलवे लाइन से गुजरता है। दैनिक रूप से इस मार्ग पर तीन ट्रेनों चलती हैं।
इसमें रांची-न्यू गिरिडीह इंटरसिटी एक्सप्रेस, कोडरमा-महेशमुंडा पैसेंजर ट्रेन और कोडरमा-मधुपुर पैसेंजर ट्रेन शामिल हैं।
तीनों ट्रेनों के आगमन और प्रस्थान के समय मंझलीटांड़ और बंगाईकला में रेलवे फाटक बंद करने और खोलने की यही प्रक्रिया होती है।
दोनों रेलवे फाटक भी सिर्फ 500 मीटर दूर हैं। इसलिए, इस लाइन से गुजरने वाली हर ट्रेन को हर पारी में चार बार रेलवे फाटक बंद करने और खोलने के लिए रोका जाता है। इस क्रिया में चार से पांच मिनट लगते हैं।
यात्री स्टेशन के बजाय फाटक पर ही चढ़ते-उतरते हैं
बंगाईकला और मंझलीटांड़ क्षेत्र में रहनेवाले लोग ट्रेन से महेशपुर स्टेशन नहीं जाते, बल्कि समपार फाटक से ही उतरते हैं।
स्थानीय निवासी राहुल गुप्ता, पप्पू साव और मुन्ना सिंह ने बताया कि महेशपुर स्टेशन इस रेलवे फाटक से लगभग चार किलोमीटर दूर है, जहां जाने में काफी मुश्किल होती है।
इस मार्ग पर चलने वाली तीनों ट्रेनों ने फाटक के आगे और पीछे दो बार रूकती है। यहीं से लोग ट्रेन में सवार होते हैं। दैनिक रूप से लोग स्टेशन के प्लेटफार्म की जगह मंझलीटांड़ रेलवे फाटक और बंगाईकला रेलवे फाटक का इस्तेमाल करते हैं।