RIMS: होल एक्जोम सिंक्वेंसिग जिनोमिक्स एंड जेनेटिक्स विभाग में शुरू
Ranchi: रिम्स, राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल, हर दिन बदलते चिकित्सा विज्ञान के साथ नए आयाम बनाने में व्यस्त है। उन्नत तकनीक और नवीन खोजों से लैस रिम्स की पहचान बदल रही है। साथ ही, रिम्स झारखंड-बिहार का पहला अस्पताल होगा, जिसमें आनुवांशिक बीमारियों के कारणों को खोजा जाएगा। यही कारण है कि चार वर्ष की एक मरीज को सीएमसी वेल्लोर से होल एक्जोम सीक्वेंसिंग के लिए रिम्स भेजा गया।
उसके नमूने को परीक्षण किया जा रहा है। यह मरीज झारखंड से है। रिम्स के जिनोमिक्स एंड जेनेटिक्स विभाग ने एक्जोम सिक्वेंसिग की जांच शुरू की है। शनिवार को होल एक्जोम सिक्वेंसिंग जांच के लिए 20 चुने गए मरीजों के डीएनए से पहली बार जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन का उपयोग किया गया।
Biochemistry विभागाध्यक्ष डॉ. अनुपा प्रसाद ने बताया कि सैंपल रन होने में लगभग तीन दिन लगते हैं। उसके बाद पूरे प्रक्रिया में बारह से चौदह दिन लगते हैं, जिसमें अंतिम परिणाम मिलता है। डॉ अनुपा प्रसाद ने कहा कि अगर सही रिजल्ट मिलते हैं, तो यह झारखंड के मरीजों के लिए वरदान होगा। कई पीढ़ियों से चली आ रही समस्या को तत्काल हल किया जा सकेगा।
पीडियाट्रिक और न्यूरोलॉजी विभागों में सैंपल की जांच की जा रही है
डॉ. अनुपा प्रसाद ने बताया कि पीडियाट्रिक और न्यूरोलॉजी विभागों से लिए गए सैंपल जांच के लिए मशीन में डाल दिए गए हैं। पिछले एक साल से इन सैंपल को एकत्रित किया गया था और माइनस 180 डिग्री के तापमान पर रखा गया था। सर्वश्रेष्ठ सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। यह मशीन 90% तक सही रिजल्ट देती है, उन्होंने कहा। यदि परिणाम सही हैं तो इलाज आसानी से हो सकता है। या फिर समस्या का कारण पता चलता है।
उसके बाद, सही उपचार उपलब्ध होने पर बीमारी आसानी से ठीक हो सकती है। रिम्स में एक व्यक्ति के सैंपल के होल एक्जोम सिक्वेंसिंग में 22 से 24 हजार रुपए खर्च होते हैं, जबकि बाहर की निजी लैब में इसी जांच के लिए 50 से 55 हजार रुपए खर्च होते हैं।