Ranchi: सरकार ने राजधानी को व्यवस्थित करने के लिए रांची मास्टर प्लान 2037 बनाया है। पिछले सात वर्षों से इसका लगातार विरोध हुआ है। मास्टर प्लान को फिर से लागू किए जाने के विरोध में 154 गांव और विभिन्न आदिवासी संगठन आंदोलन की राह पर हैं।
इनका कहना है कि रांची मास्टर प्लान के तहत 2.28 लाख एकड़ भूमि का लैंड यूज बदलने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि इन सभी गांवों को पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून और सीएनटी कानून के दायरे में रखा गया है। ग्रामसभा और ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी (टीएसी) की सहमति के बिना इन गांवों में जमीन अधिग्रहण से संबंधित कोई योजना लागू नहीं की जा सकती।
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यही कारण है कि इन गांवों में कृषि भूमि का प्राकृतिक स्वरूप बदलना गैरकानूनी है। 154 गांवों के लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर मास्टर प्लान रद्द नहीं किया गया तो दिसंबर महीने में लाखों आदिवासी एकत्र हो जाएंगे और सख्त आंदोलन करेंगे।
आदिवासी लोगों को बेघर करने का सर्वोत्तम कार्यक्रम—प्रफुल्ल लिंडा
रांची का पूरा शहर पांचवीं सूची में है, आदिवासी अधिकार मंच के अध्यक्ष प्रफुल्ल लिंडा कहते हैं। इसके बावजूद, विकास के नाम पर यह मास्टर प्लान बनाया गया है, जिसमें बाहरी लोगों को बसाया गया है और आदिवासियों को उनकी जमीन से बाहर निकाला गया है। 2015 में 336 गांव मास्टर प्लान के लिए चुने गए।

इसके बाद 226 गांवों का नामांकन हुआ। उन गांवों की जनता ने लगातार विरोध किया। साथ ही 2022 में 154 गांवों को मास्टर प्लान में शामिल करने की सूचना दी गई। इन गांवों में 2 लाख 28 हजार एकड़ कृषि भूमि को नेचर बदलने की योजना है। संसद, राष्ट्रपति और टीएसी की अनुमति के बिना मास्टर प्लान को सीधे लागू करना गैरकानूनी है। सरकार भी इस साजिश में शामिल है।
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मास्टर प्लान के अधीन हजारों परिवार थे, लेकिन सिर्फ 524 ने अपील की
जहां 154 गांव मास्टर प्लान के खिलाफ हैं। वहीं, मास्टर प्लान में गड़बड़ी के कारण रांची में 5000 से अधिक रैयतों की जमीन के नक्शे पास नहीं हो रहे हैं। 2020 से ही, रांची नगर निगम ग्रामीणों से मास्टर प्लान में सुझाव मांग रही है। 15 सितंबर से 10 अक्टूबर तक इन शिकायतों पर भी सुनवाई हुई।
रांची नगर निगम की कमेटी को मास्टर प्लान से प्रभावित हजारों लोगों में से सिर्फ 524 रैयतों की आपत्ति मिली। इनमें 397 आरआरडीए क्षेत्र और 127 रांची नगर निगम क्षेत्र के रैयत थे। हजारों लोगों को इस बारे में कुछ भी नहीं पता था, और जो कुछ पता था, वे इसे सही तरीके से नहीं समझ पाए। इसलिए अपनी आपत्ति नहीं व्यक्त कर सका।