रांची: कुरमी समाज अर्जुन मुंडा के बयान से नाराज, शाह और नड्डा का एयरपोर्ट पर विरोध करेंगे

Tannu Chandra
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रांची कुरमी समाज अर्जुन मुंडा के बयान से नाराज,

मोर्चा ने सीएम से चुप्पी तोड़ने की अपील की, 21 नवंबर को सीएम आवास का घेराव किया जाएगा और 18 फरवरी को महारैली होगी

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Ranchi: केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने दिए गए बयान से कुरमी समाज आक्रोशित हो गया है। रविवार को कुरमी विकास मोर्चा ने पुरानी विधानसभा में बैठक करके फैसला किया कि गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के झारखंड आगमन का सख्त विरोध किया जाएगा।

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एयरपोर्ट से बाहर निकलना वर्जित है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मोर्चा केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि टोटेमिक कुरमी या कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध करने की मांग पर पिछले 72 वर्षों से लगातार संघर्ष करने के बावजूद, केंद्र सरकार ने जनजातीय मामले के मंत्री अर्जुन मुंडा को हतोत्साहित करने वाला गलत बयान दिया है। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री अब कुरमी या कुड़मी एसटी की मांगों पर चुप रहे हैं।

21 नवंबर को, झारखंड निर्माता बिनोद बिहारी महतो को झारखंड पितामह का दर्जा देने के लिए मुख्यमंत्री आवास घेराव का आह्वान किया गया। लाखों लोग समाज के वेशभूषा में मुख्यमंत्री आवास घेराव कार्यक्रम में भाग लेंगे। 18 फरवरी 2024 को मोरहाबादी मैदान में कुरमी/कुड़मी आक्रोश महारैली भी होगी। कुरमी विकास परिषद के अध्यक्ष रंधीर चौधरी, कुरमी महासभा के प्रतिनिधि देवकी महतो, रामपोदो महतो, सखीचंद महतो, थानेश्वर महतो, सपन महतो, दानिसिंह महतो, राजेंद्र महतो, सखीचंद महतो, रचिया महतो, सुषमा देवी, ओम प्रकाश महतो सहित हजारों लोगों ने बैठक में भाग लिया।

गृह सचिव से चर्चा के मुद्दे निर्धारित किए गए

झारखंड के मुख्य सचिव से वार्ता तथा “रेल टेका” अभियान की समीक्षा बैठक में हुई। केंद्रीय गृह सचिव से हुई चर्चा में प्रमुख मुद्दों का उल्लेख किया गया। मनोहरपुर (घाघरा) रेल टेका आंदोलनकारियों को जेल से जल्दी बाहर निकालने के उपायों पर चर्चा हुई। शीतल ओहदार ने कहा कि टोटेमिक कुरमी और कुड़मी जनजाति के बीच वर्तमान में चरम संघर्ष चल रहा है। युवा, बुद्धिजीवी और माता-बहनें अपने संवैधानिक अधिकारों को समझ रहे हैं।

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जिस दिन हमारे समाज के सत्तर प्रतिशत लोग अपने अधिकारों को जानेंगे। उस दिन हमें संविधान बनाने का अधिकार मिलेगा। कुरमी और कुड़मी नेताओं ने झारखंड के मुख्यमंत्री से अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग पर मौन है। प्रत्येक जिला को कुड़मी बहुल ने जिला प्रभारी और प्रखंड प्रभारी नियुक्त किया, ताकि इन सभी कार्यक्रमों को सफल बनाया जा सके।

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