Pitru Paksha: साहिबगंज गंगा घाट पर तर्पण के लिए जुटेंगे लोग, मृत्यु तिथि पता ना हो, तो श्राद्ध करना कब होगा उचित
Sahibganj: भाद्रमास की पूर्णिमा से शुक्ल पक्ष शुरू होता है और अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। पितृ पक्ष इस वर्ष 29 सितंबर, यानी आज से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक चलेगा। हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है, पं. जगदीश शर्मा ने बताया। पितृ पक्ष पितरों की शांति और खुशी के लिए मनाया जाता है। अधिकांश लोग अक्सर आश्विन कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष मानते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज ने पितरों को श्राद्ध पक्ष में मुक्त कर दिया है, ताकि वे अपने स्वजनों के पास जाकर तर्पण कर सकें। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितृ आशीर्वाद मिलता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि शुभ मुहूर्त हैं। अपराह्न समाप्त होने तक श्राद्ध क्रियाएँ पूरी कर लेनी चाहिए। श्राद्ध का अंत तर्पण से होता है।
मृत्यु तिथि नहीं जानते तो श्राद्ध कैसे करें?
बकौल पंडित पंकज पांडेय, भादो पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा का श्राद्ध करने से पितृपक्ष की शुरुआत होती है और महालया के दिन इसका समापन होता है। श्राद्ध और तर्पण पितृ पक्ष के दौरान पितरों की मृत्यु तिथि के अनुसार करना चाहिए। अगर तिथि नहीं पता तो अमावस्या को श्राद्ध करना चाहिए।
लोग साबिहगंज गंगा तट पर काफी संख्या में आते हैं
आप जानते हैं कि पितृ पक्ष में तर्पण बहुत महत्वपूर्ण है। लोग हर सुबह स्थानीय गंगा तट पर पितृ तर्पण करते हैं। झारखंड के साहिबगंज में गंगा नदी के तट पर बहुत से लोग तर्पण करते हैं। यहाँ साहिबगंज गंगा तट को साफ किया जा रहा है।