लोहरदगा: पार्वती, महिला मंडल से ऋण लेकर स्वयं की दुकान चला रही

Aabhash Chandra
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लोहरदगा पार्वती, महिला मंडल से ऋण लेकर स्वयं की दुकान चला रही

गांव की निवासी पार्वती उरांव बताती हैं कि वह 2012 में महिला मंडल में शामिल हुईं। उससे पहले, वे बाजार-हाट में जाकर हड़िया-दारु बेचते थे।

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लोहरदगा जिले में ऐसी कई महिलाएं हैं, जो घर की माली हालत खराब होने के कारण अपने घरों तथा ग्रामीण हाट बाजारों में हड़िया-दारू बेचती रही हैं. लेकिन, महिलाओं ने नशाखोरी की इस व्यवसाय से सामाजिक प्रतिष्ठा गिरने की जानकारी मिलने के बाद हड़िया-दारू का बिक्री पूरी तरह से छोड़कर अब मवेशी पालन या अन्य व्यवसाय करके सम्मानजनक जीवन यापन इनमें से एक पार्वती उरांव का नाम है। ज्ञात हो कि लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड के एकागुड़ी कुंबटोली निवासी पार्वती उरांव ने स्वयं सहायता समूह ज्योति महिला मंडल में शामिल होने के बाद अपने पारिवारिक जीवन और रहन-सहन में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखा है।

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गांव की निवासी पार्वती उरांव बताती हैं कि वह 2012 में महिला मंडल में शामिल हुईं। उससे पहले, वे बाजार-हाट में जाकर हड़िया-दारु बेचते थे। इनके परिवार उससे कमाई करते थे। पार्वती का परिवार लंबे समय से आर्थिक रूप से कमजोर रहा है। जीवन जीने का कोई अन्य उपाय नहीं था। Pavarti और उनके पति दैनिक काम करके घर चलाते थे।

राज्य सरकार ने फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान चलाया, जो राज्य भर में हड़िया-दारू बेचने वाली महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जेएसएलपीएस के माध्यम से चलाया गया। यह अभियान पार्वती के गांव एकागुड़ी कुंबटोली में भी चला। पार्वती ने इस अभियान से प्रभावित होकर स्वयं सहायता समूह से 10 हजार रुपये ऋण के रूप में अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्राप्त किए। उसकी मदद से उन्होंने चार बकरी खरीदकर उनकी देखभाल करने में जुट गए। समय के साथ बकरियों की संख्या भी बढ़ी। फिलहाल, उनके पास दसवीं बकरी है।

उन्हें दो बकरी 3500 रुपये प्रति बकरी बेचकर 7000 रुपये कमाए। उन्होंने घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अपने महिला मंडल से २५ हजार रुपये का ऋण लिया। अपने घर में उसकी मदद से छोटी सी दुकान खोली, जिसमें फोटोकॉपी के लिए प्रिंटर मशीन, श्रृंगार के सामान और दैनिक उपयोग की चीजें रखनी शुरू की। इस दुकान से उन्हें मासिक चार हजार से छह हजार रुपये मिलते हैं। अब वह गांव की एकमात्र दुकान की सहायता से अपना जीवन चला रही है।

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