झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत ने शाह की बैठक में 1.36 लाख करोड़ रुपये का बकाया मांगा
Ranchi : नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई वामपंथ उग्रवाद की समीक्षा बैठक में, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र से झारखंड की बकाया राशि की मांग की। उनका दावा था कि भारत सरकार को झारखंड से करोड़ों रुपये का बकाया नहीं मिल रहा है।
भारत सरकार की झारखंड की खनन कंपनियों पर राज्य सरकार का एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया है। झारखंड का विकास इस राशि की कमी से प्रभावित हो रहा है। राज्य और केंद्र सरकारों के बीच बेहतर समन्वय हमेशा नक्सल विरोधी अभियान में होगा, उन्होंने कहा।
हम सब मिलकर उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई जीतने की उम्मीद करते हैं। CM ने कहा कि राज्य सरकार उग्रवाद को खत्म करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना पर काम कर रही है। वामपंथी उग्रवादी संगठनों का मुकदमा चलाया जा रहा है। झारखंड जगुआर और एसएटी जैसे विशेष दल को इस अभियान में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के साथ काफी उपयोग किया जा रहा है।
पुराने पहाड़ को नक्सलियों से बचाने में सफलता
CM ने कहा कि झारखंड में बूढ़ा पहाड़ जैसे दुर्गम स्थानों में नक्सलियों ने आश्रय लिया था, लेकिन केंद्र सरकार के सहयोग से नक्सलियों ने इस क्षेत्र को छोड़ दिया है। वहां के छह पंचायतों को विकसित करने के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण किया गया है। इस योजना को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
PM आवास से वंचित 8 लाख लाभुकों को हक दें
CM ने कहा कि झारखंड में अभी भी लगभग 8 लाख योग्य लाभुकों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार के बार-बार अनुरोध के बावजूद, केंद्र सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय इस मामले में कोई सकारात्मक फैसला नहीं ले रहा है।
SRe मद में बीमा राशि का भुगतान जारी रखा जाए
हेमंत ने बताया कि SRe योजना से बीमा खर्च हट गया है। SRE मद में बीमा राशि की प्रतिपूर्ति को पूर्व की तरह जारी रखना चाहिए, ताकि सुरक्षा बलों का मनोबल बना रहे। झारखंड के एसआरई जिलों की सूची से कोडरमा, रामगढ़ और सिमडेगा जिले बाहर कर दिए गए हैं।
झारखंड को DMFT राशि खर्च करने के मार्गनिर्देशिका में बदलाव से नुकसान
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार DMFT की राशि खर्च करने के तरीके में बदलाव करने जा रही है। जो झारखंड को व्यावहारिक समस्याओं का सामना करना पड़ा सकता है। योजनानुसार, झारखंड जैसे जंगलों और पहाड़ों से घिरे राज्य में किसी भी खनन क्षेत्र की 15 किलोमीटर की परिधि में ही धन खर्च किया जा सकता है।
बैंकों की मदद नहीं मिल रही
CM ने कहा कि सरकार को झारखंड में विकास के लिए बैंकों से उम्मीद की गई मदद नहीं मिल रही है। जो राज्य का सीडी रेशियो 45% है, जबकि राष्ट्रीय औसत लगभग 67% है। झारखंड लाखों करोड़ रुपये के निवेश के लाभ से वंचित हो गया है क्योंकि बैंकों ने सहयोग नहीं किया।