Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट जनहित याचिका नियम, 2010 की पांच धाराओं को चुनौती दी गई है। प्रार्थी मंटू सोनी ने इस संबंध में याचिका दायर की है। अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता उनका वकील होगा। याचिका में झारखंड जनहित याचिका नियम 2010 की पांच धाराओं को असंवैधानिक माना गया है, याचिका में उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की जनहित याचिका नियम में अस्पष्टता है, जिससे संबंधित पक्षों पर संवैधानिक मूल्य लागू होते हैं।
झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और झारखंड सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ लॉ को याचिका में प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में मुख्य रूप से 2010 के जनहित याचिका नियम की धारा चार, पांच, सात और नौ में क्रिडेंसियल्स शब्द की अस्पष्टता और उनकी व्याख्या के साथ-साथ 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनहित याचिका के लिए बनाए गए नियमों की स्पष्टता है। हाईकोर्ट के जनहित याचिका नियम की धाराएं इन बिंदुओं को लेकर चुनौती दी गई हैं।
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2010 के झारखंड जनहित याचिका नियम में इन धाराओं को चुनौती दी गई है
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका के आवेदक को किन-किन बिंदुओं पर स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए। झारखंड हाईकोर्ट के जनहित याचिका नियम में स्पष्टता नहीं है। जिससे आवेदकों में भ्रम पैदा होता है और संविधान के मूल अधिकार भी प्रभावित होते हैं।
आपराधिक विवरण देने का स्पष्ट निर्देश सुप्रीम कोर्ट जनहित याचिका नियमावली में है

सुप्रीम कोर्ट की जनहित नियमावली में कहा गया है कि याचिकाकर्ता पर किसी भी नागरिक, आपराधिक या राजस्व मुकदमे से संबंधित विवरण देना आवश्यक है; हालांकि, झारखंड हाईकोट जनहित याचिका नियम 2010 की धारा 5 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि याचिकाकर्ता पर सिविल या क्रिमिनल मुकदमे का स्पष्ट विवरण देना अनिवार्य नहीं है। इसका विवरण स्पष्ट रूप से आवश्यक है।