जीवन गुजर गया, न घर मिला, न राशन कार्ड, अब खाने के लाले – 78 वर्षीय सुकरा टोप्पो का हाल

Sandeep Sameet
2 Min Read
जीवन गुजर गया, न घर मिला, न राशन कार्ड, अब खाने के लाले

Gumla: 78 वर्षीय सुकरा टोप्पो, गुमला की मूल निवासी, ने खुशहाल जीवन बिताया। युवावस्था में ईंट भट्ठा में काम करके अपना और परिवार का भरण-पोषण किया। इटकी में स्वास्थ्य विभाग की जमीन पर एक झोपड़ी बनाकर कुछ समय बिताया। जब उनकी झोपड़ी अतिक्रमण हटाओ अभियान में ढहा दी गई, वे रेलवे की जमीन पर झोपड़ी बनाने लगे। 2019 में रेलवे अंडर ब्रिज बनने के दौरान उनकी झोपड़ी भी वहां गिरा दी गई।

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स्वास्थ्य विभाग की जमीन पर फिर से झोपड़ी बनाकर वे किसी तरह अपनी जिंदगी चला रहे हैं। इस दौरान, वे सरकारी योजनाओं के तहत घर और राशन कार्ड के लिए नेताओं और अधिकारियों से कई बार फरियाद की। अब तक मैं सिर छिपाने के लिए घर नहीं पाया और राशन कार्ड नहीं बना पाया। अब इस उम्र में खाने के भी लाले पड़ने लगे हैं।

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इटकी क्षेत्र के समाज सेवक फरहान हैदन ने इंसानियत के नाते राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री, उपायुक्त और कई सरकारी विभागों को एक ज्ञापन के माध्यम से सुकरा टोप्पो के दर्द को व्यक्त किया। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया गया है। उनका कहना था कि राजधानी में गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल रहा है, जो सरकार की पहल है।

जीवन गुजर गया, न घर मिला, न राशन कार्ड, अब खाने के लाले
जीवन गुजर गया, न घर मिला, न राशन कार्ड, अब खाने के लाले

सरकार गरीबों को राशन कार्ड देती है। किंतु दुर्भाग्यवश, उनके पास राशन कार्ड तक नहीं है; सुकरा टोप्पो की पत्नी गरीबी से गुजर गई, और उनकी बेटी विधवा है। बंधन नामक बेटा और दो पोते-पोती हैं। पोती 14 वर्ष की हो गई है। अब सुकरा टोप्पो इस उम्र में काम करने के लायक भी नहीं हैं। बेटा किसी तरह काम कर गुजारा चला रहा है। गांव के शिक्षक और अन्य लोगों ने पोता-पोती को गोद लिया है।

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