Jamtara News: 38 करोड़ रुपये से अधिक की रेत की लूट,
Jamtara News: जामताड़ा में अवैध बालू का उठाव करोड़ों रुपये का नुकसान कर रहा है। जिलेभर के 34 चिह्नित बालू घाटों सहित अन्य कई बालू घाटों से बालू की चोरी-छिपे ढुलाई जारी रही है। सिर्फ इनकी तुलना में, पिछले पांच वर्षों में राजस्व का लगभग 38 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
पिछले पांच वर्षों में सरकारी स्तर पर बालू घाटों की निगरानी नहीं की गई है, लेकिन जिले के 34 चिह्नित घाटों सहित अन्य कई बालू घाटों से बालू की चोरी-छिपे ढुलाई जारी रही है।
38 करोड़ से अधिक का नुकसान अब तक
विभागीय सूत्रों का अनुमान है कि इन चिह्नित घाटों से पिछले पांच वर्षों में करोड़ों रुपये का बालू निकाला गया है। सिर्फ चिह्नित घाटों से अवैध बालू निकासी के आंकड़ों को जोड़कर सरकार को इस दौरान लगभग 38 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ है।
अवैध व्यापार में शामिल माफियाओं की लुप्त होती चांदी
इस आंकड़े को जिले के अन्य छोटे-बड़े घाटों के आंकड़ों को जोड़ दिया जाए तो यह और भी व्यापक हो जाएगा। दूसरी ओर, पारंपरिक सूत्रों का कहना है कि भले ही सरकार को बालू घाटों की निगरानी से नुकसान हुआ है, लेकिन पुलिस और प्रशासन के सहयोग से अवैध माफिया ने पिछले पांच वर्षों में काफी पैसा कमाया है।
रेत की लूट का गणित इस तरह समझें
रेत कारोबार करनेवाले लोगों का कहना है कि बंदोबस्ती हुए घाटों से पहले उन्हें बालू उठाने के लिए 700 रुपये की पर्ची कटवानी पड़ती थी। साथ ही रेत लीगल दरों पर इन्हें बेचने में भी उन्हें आसान था।
जामताड़ा में हर दिन अवैध बालू ढुलाई होती है
ज्ञात आंकड़ों के अनुसार, जिले भर में बालू की अवैध ढुलाई हर दिन लगभग 300 ट्रैक्टरों से होती है।
700 रुपये प्रति ट्रैक्टर के हिसाब से पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों को जोड़कर यह लगभग 383250000 रुपये होता है।
हालाँकि, ट्रकों और डंपरों के जरिए रेत की ढुलाई के मामले लगातार होते रहते हैं। इस आंकड़े को जिले के अन्य छोटे-बड़े घाटों के आंकड़े भी मिल सकते हैं।
34 बालू घाट पहले ही जिले में चिह्नित थे
जामताड़ा में पूर्व तक 34 बालू घाटों का खनन था। इनमें हाथधारा घाट-वन, हाथधारा घाट-टू, अमलाचातर, बोधबांध-वन, बोधबांध-टू, डिमजोरी घाट-वन, डिमजोरी घाट-टू, गोपालपुर घाट-वन, सतसाल घाट-वन, नवाईकोल घाट-वन, नवाईकोल घाट-टू शामिल हैं।
विभिन्न छोटे-बड़े घाटों में चिहुंटिया, आसनचुआं, मरालो, देवलकुंडा, नवदीपचक, रंगासोल, मरालो, कास्ता, परिहारपुर, पाथरघाटा, बनखेत, छोटो गोविंदपुर, अंबा सहजोरिया, सटकी घाट, बारा अखना-वन, बारा अखना-टू, गोलाडांगा घाट, इंद्रपहाड़ी घाट, बांसबनी घाट, कालिकासोली घाट और अन्य इनमें से चार बालू घाटों से 2022 तक सरकारी स्तर पर बालू का उठाव जारी रहा। इनमें सतसाल, कुशबेदिया, नीमबेड़ा और नाला का एक घाट था।