Hazaribagh: सात झीलों की श्रृंखला में हजारीबाग झील को अंग्रेजों ने पूरी तरह वैज्ञानिक ढंग से बनाया था। हर एक झील विशिष्ट उद्देश्य के लिए बनाया गया था और साइफन तकनीक से एक दूसरे से जुड़े हैं। गांधी स्मारक झील के ठीक पीछे है। उस झील में मंडई क्षेत्र से पानी आकर जमा होता है और एक कुएं के सहारे दूसरी झील में जाता है। बारिश के दिनों में यहां इकट्ठा हुआ पानी एक लेवल पर आकर दूसरे बड़े झील में जाता है। पानी इस झील में भरने के बाद मुख्य झील में जाता है।
त्रिमूर्ति के पीछे भी एक छोटी झील है, पुलिस लाइन से पानी आता है। इस छोटी झील में भी एक कुआं है, जहां से पानी बड़ी झील में फिर से चला जाता है। जब भी इस बड़ी झील में पानी एक लेवल से ऊपर होता है, तो वह स्वतः निकलकर लगभग 15 फीट नीचे स्थित सबसे बड़ी झील में जाता है। सात झीलों की श्रृंखला को सीढ़ीनुमा बनाया गया है, ताकि सबसे बड़ी झील से वर्षों भर पानी मिलता रहे। लेकिन इसके आस्तिव को मिटाने के लिए आम से लेकर खास कोई उपाय नहीं किया जा रहा है। वहीं, ठेकेदारी का झोल लगता है कि रही-सही कमी को पूरा करता है। हालाँकि, नगर निगम से लेकर जिला परिषद प्रशासन इस मामले पर चुप हैं।
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पानी जाने वाले कनाल को किया बंद

शहर के विभिन्न क्षेत्रों से पानी को झील तक पहुंचाने के लिए झील के किनारे एक कनाल बनाया गया है। झील में पानी आठ प्रवेशद्वारों से आता है। यह झील की जीवन रेखा है। इससे झील पानी पाती है। लेकिन अब यह कनाल संकट में है, जहां से इसे भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। झील क्षेत्र में बहुत से अभियंता झील के किनारे बने घरों में रहते हैं। इस कैनाल को उनके प्रवेश द्वार के सामने सड़क पर लगभग बंद कर दिया गया है। जिससे कनाल में पानी लगातार बहने के स्थान पर एक जगह जम जाता है। इसके परिणामस्वरूप कनाल के किनारे लगाए गए पेड़ सूखने लगे हैं।
विधायक ने “शुभ संदेश” अभियान की प्रशंसा की
शुभम संदेश ने झील के वास्तविक रूप को बचाने और क्षेत्र में कंक्रीट के कामों को रोकने के लिए एक मुहीम चला रखी है। रविवार को बरकट्ठा विधायक अमित यादव भी झील की स्थिति देखने पहुंचे। इस दौरान, उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने इतनी वैज्ञानिक ढंग से बनाई गई झील आज ठेकेदारी के दबाव में फंसकर बर्बाद हो रही है। विधायक ने “शुभम संदेश” को धन्यवाद देते हुए कहा कि आप लोगों ने हजारों लोगों की पीड़ा को समझा और इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट दी है।

झील में फैली गंदगी से शहरवासी बीमार हैं
झील को साफ करने के लिए लाया गया वीड को हार्वेस्टर झील से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है। लेकिन झील में गंदगी है। जलकुंभी और अन्य जलीय घास भी जगह-जगह फैल गए हैं। यहां पूरा शहर छठ पर्व पर जमा होता है। ऐसे में शहर के लोग झील तो दूर, किनारे की सफाई भी अभी तक नहीं होने से गुस्से में हैं। यदि सफाई समय पर नहीं होती तो दो करोड़ की मशीन का क्या फायदा?
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झील के अस्तित्व पर संकट

एक ओर, झील क्षेत्र कंक्रीट के निर्माण से अपनी खूबसूरती खो रहा है, और दूसरी ओर, इसकी सहायक नहर के बंद होने से झील के अस्तित्व पर ही खतरा पैदा हो गया है। आपस से जुड़े पूरे नहर को लगातार निर्माण कार्य का सामना करना पड़ा है। हेंगिंग गार्डन, जो हाल ही में हजारीबाग में बनाया गया है, नहर के ऊपर बनाया गया था, साथ ही एक कलवर्ट बड़ी झील को नहर से जोड़ता था। यह लगभग सभी कलवर्ट की स्थिति है। सभी कलवर्ट बंद होने से झील में पानी का प्रवाह बाधित हो गया है।