Giridih News: DRDA निदेशक आलोक की 70 से अधिक जांच रिपोर्टों की पुनरावलोकन
Giridih:- DC नमन प्रियेश लकड़ा ने डीआरडीए के पूर्व निदेशक आलोक कुमार को सीधे जिम्मेदार ठहराया है कि मनरेगा योजनाओं में गड़बड़ी की वास्तविक जांच नहीं की गई और कोई कार्रवाई नहीं की गई। योजनाओं की जांच के लिए उन्होंने खानापूर्ति और टेबल वर्क किया है, कहा है। रिपोर्ट पूरी तरह से पक्षपाती है।
रिपोर्ट या तो किसी व्यक्ति के पक्ष में थी या उसके पक्ष में थी। इस तरह की जांच रिपोर्ट दी गई है। इसके आधार पर कोई काम नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि जिला प्रशासन की छवि कमजोर हो रही है। लिहाजा, बीडीओ को अपने स्तर से योजनाओं की जांच करने और कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।
अन्यथा, अगर कोई अन्य एजेंसी भविष्य में मामले की जांच करती है और कोई गड़बड़ी सामने आती है, तो बीडीओ सीधे जिम्मेवार होंगे और इसके लिए मुकदमा भी किया जाएगा। डीआरडीए के निदेशक आलोक कुमार ने गिरिडीह जिले में सत्तर से अधिक मामलों की जांच की थी। जिसमें मनरेगा के अलावा जमीन और माइंस से जुड़े कई मुद्दे शामिल हैं। आलोक कुमार को अब कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पद पर पलामू भेजा गया है।
मनरेगा में गड़बड़ी का मामला क्या है? मनरेगा में गड़बड़ियां हर जिले में सामने आईं। विभिन्न प्रखंडों में प्रचुर मात्रा में धन निकाला गया, दूसरे प्रखंडों में काम न करके धन निकाला गया, और एक ही स्थान पर अक्सर डोभा, ठेकेदारी, पशुशाला, दीदीबाड़ी और बागवानी में विफलताओं का मामला सामने आया। जिसकी जांच की गई, लेकिन कोई उपाय नहीं किया गया। डीसी ने पूरी जांच रिपोर्ट की समीक्षा की, जिससे जिला प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठने लगा, जिसमें जांच के नाम पर धोखाधड़ी सामने आई।
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