दिवाली पर अस्पतालों में विशिष्ट प्रबंध, हादसे होने पर क्या करें और क्या नहीं

Tannu Chandra
4 Min Read
दिवाली पर अस्पतालों में विशिष्ट प्रबंध

Ranchi: दिवाली पर पटाखों से जले हुए बहुत से लोग अस्पताल पहुंचते हैं। आम दिनों की तुलना में अस्पताल में तीन गुणा अधिक मरीज आते हैं। इसलिए, रिम्स के बर्न वार्ड में 16 बेड, सदर में दस बेड और सभी अनुमंडल अस्पतालों में तीन बेड आरक्षित हैं।

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रिम्स के निदेशक डॉ. राजीव गुप्ता ने कहा कि पूरी तैयारी के साथ रिम्स में 16 बेड का बर्न वार्ड मुस्तैद रहेगा। दिवाली पर बर्न मामलों के उपचार के लिए आठ जूनियर रेजिडेंट, एक रेजिडेंट और तीन सीनियर कंसल्टेंट ऑन कॉल रहेंगे। रिम्स के सर्जरी विभाग के डॉक्टर नीशिथ ने बताया कि सर्तकता उपचार से अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए बच्चों को पटाखे के पास नहीं जाना चाहिए और उन्हें नहीं जलाना चाहिए।

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अनुमंडल अस्पतालों में तीन बेड और सदर अस्पताल में दस बेड होंगे

सदर अस्पताल में भी मरीजों के लिए दस बेड उपलब्ध होंगे, सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार ने बताया। वहीं इमरजेंसी में 24 घंटे डॉक्टरों और नर्सों की उपस्थिति रहेगी। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस पूरी टीम के साथ किसी भी समस्या से निपटने के लिए भी तैयार रहेगी।

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इसके अलावा, अनुमंडल अस्पतालों को जलने की समस्या वाले मरीजों के लिए तीन बेड अलग रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, दिवाली को सावधानीपूर्वक मनाना चाहिए। बच्चों को पटाखे जलाने के दौरान बड़ों की निगरानी में ही करना चाहिए।

48 घंटे तक अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को धुआं नहीं देना चाहिए

अगले चौबीस घंटे तक अस्थमा के मरीजों को धुआं से बचना चाहिए, रिम्स के टीबी चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. ब्रजेश मिश्र ने कहा। बाहर नहीं निकलना चाहिए। डॉ. ब्रजेश ने बताया कि दीवाली के बाद पॉल्यूशन बढ़ा। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की दर बढ़ जाती है।

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अस्थमा के मरीजों को धुआं और धुल से बचने के लिए सतर्क रहना चाहिए। उनका कहना था कि मौसम में बदलाव भी अस्थमा के मरीजों की मुसीबत बढ़ाता है। रिम्स क्रिटिकल केयर के इंचार्ज डॉ. पीके भट्टाचार्य ने कहा कि गंभीर कोरोना संक्रमित मरीजों को भी धुआं से दूरी बनानी चाहिए।

जलने पर दो घंटे तक टैप को पानी से धोते रहें

बारूद या पटाखों से जलने पर अगले बीस मिनट तक लगातार पानी से धोते रहें, डॉक्टरों ने कहा। स्टेट, घी, दही, बर्फ और आलू नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा, जब दर्द कम हो जाता है, तो सीधे चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। कभी-कभी हल्की जला भी बीमारी का कारण बन सकती है। डॉ. निशिथ ने बताया कि बच्चों में 10% और बड़ों में 30% जलने से अधिक रिस्क होता है। सावधानी से पटाखा जलाएं।

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जलने पर क्या करना चाहिए

– जलने पर २० मिनट तक निरंतर पानी से धोएं।

— ठंड में डॉक्टर से सलाह लें

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– आंख बचाकर पटाखे जलाएं

— अगरबत्ती और छड़ी का प्रयोग करें

– पटाखा जलाते समय पर्याप्त दूरी बनाए रखें

– पटाखे जलाने के बाद अपने हाथों को अच्छे से धोएं

– दीवाली में अस्थमा और पोस्ट कोविड मरीजों को धुआं से दूर रहें

  • अगले 48 घंटे तक अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को बाहर रहने की कोशिश करें।

जलने के दौरान क्या नहीं करना चाहिए

— जलते समय बर्फ, घी, आलू या पेस्ट का उपयोग नहीं करें

– घर से बाहर निकलना गैर जरूरी है

– मास्क लगाना जारी रखें

– कोरोना हुआ है तो पटाखे न जलाएं

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