Dharmik Swatantrata पर बहस तेज: भारत चुनावों में हस्तक्षेप का दावा, रूस पर हमले का आरोप
Dharmik Swatantrata:- हाल ही में एक अमेरिकी आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर चिंता व्यक्त की गई है। भारत ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। अब खबर ये है कि भारत के दोस्त रूस ने भी इस रिपोर्ट को लेकर अमेरिका पर हमला बोला है। रूस ने इस रिपोर्ट को भारत को परेशान करने का जरिया बताया है।
अमेरिका भारत में अस्थिरता लाना चाहता है
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा कि यह रिपोर्ट ऐसे समय जारी की गई है जब भारत में आम चुनाव हो रहे हैं। अमेरिका इसके जरिए भारत में अस्थिरता पैदा करना चाहता है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह भारत की चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप के समान है। अमेरिकी विदेश विभाग भी भारत को लेकर इस आयोग की सिफ़ारिशों को ख़ारिज करता रहा है।
अमेरिका को भारत के आंतरिक मामलों से दूर रहना चाहिए
रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट में अनुचित सवाल उठाए गए हैं क्योंकि भारत में आम चुनाव चल रहे हैं। ज़खारोवा ने कहा कि यह रिपोर्ट एक देश के रूप में भारत को अपमानित करेगी। रशिया टुडे टीवी चैनल ने विदेश मंत्री से कहा कि रिपोर्ट जारी करने का मकसद भारत की आंतरिक राजनीति में दखल देकर अस्थिरता पैदा करना है। अमेरिका को भारत के आंतरिक मामलों से दूर रहने की सलाह दी गई।
भारत को चिंता का विषय बनाना चाहिए
अमेरिकी आयोग की वार्षिक रिपोर्ट भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंतित है। दूसरी बात यह है कि आयोग ने अमेरिकी विदेश विभाग से भारत को चिंता वाले देशों की श्रेणी में रखने की सिफारिश की है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी भेदभावपूर्ण नीतियां लागू कर रही है। रिपोर्ट में गोहत्या कानून, विदेशी चंदा कानून और आतंकवाद से निपटने के लिए बनाए गए यूएपीए पर सवाल उठाए गए हैं।
सीएए और यूएपीए कानून अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हैं
अमेरिकी आयोग ने दावा किया कि यह कानून अल्पसंख्यकों को निशाना बनाता है। उनका शोषण किया जा रहा है। अनावश्यक गिरफ्तारियों पर नजर रखी जा रही है। इसका कारण यह बताया जाता है कि भारत सरकार ने विदेशी संगठनों पर सख्त नियम लागू कर दिए हैं, ताकि वे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न कर सकें। अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने वाले मीडिया और गैर-सरकारी संगठनों पर नजर रखी जा रही है।
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