CSP संचालक समेत नौ गिरफ्तार: कमीशन पर साइबर अपराधियों का पैसा निकालता था
पूछताछ में साइबर आरोपितों ने बताया कि वे पोषण ट्रेकर एप से ग्राहकों का नंबर प्राप्त करने के बाद सरकारी अधिकारी बनकर ग्राहकों से फोन करते थे और उनसे जानकारी लेते थे।
देवघर साइबर थाना की पुलिस ने मोहनपुर थाना क्षेत्र के श्रीरामपुर, पालोजोरी थाना क्षेत्र के बरमसोली, पाथरौल थाना क्षेत्र के लेड़वा और सारवां थाना क्षेत्र के पहरिया गांव में छापेमारी की। छापेमारी टीम ने एक सीएसपी संचालक सहित नौ साइबर आरोपितों को गिरफ्तार किया।
19 मोबाइल, 26 सिम कार्ड, 12 एटीएम कार्ड, छह पासबुक, एक चेक बुक, दो ई-पॉश मशीन और एक बायोमीट्रिक उपकरण इन लोगों से छापेमारी टीम ने बरामद किए हैं। साथ ही, देश भर में साइबर अपराध से संबंधित 36 क्राइम लिंक को पुलिस ने इन लोगों से बरामद मोबाइल और सिम कार्ड की जांच करने पर पाया है।
पुलिस ने इन सभी के खिलाफ साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज की है और जांच शुरू कर दी है। देवघर पुलिस मीडिया सेल ने बताया कि गिरफ्तार साइबर आरोपितों में सीएसपी संचालक विकास कुमार दास (सारवां थाना क्षेत्र के पहरिया गांव) सहित मोहनपुर थाना क्षेत्र के श्रीरामपुर गांव निवासी नकुल राय, उमेश राय, कारु मरीक, सारठ थाना क्षेत्र के कालीजोत निवासी असलम अंसारी, पाथरौल थाना क्षेत्र के गोनैया गांव निवासी राजकिशोर दास, राजू कुमार दास, पाथर
आरोपित विकास ने बिना लाइसेंस के दो सीएसपी चलाए
मीडिया सेल ने बताया कि आरोपित विकास ने बिना लाइसेंस के एयरटेल पेमेंट बैंक और पेनीयरबाय का सीएसपी चलाया था। उन्होंने दो फर्जी माइक्रो एटीएम भी बनाए थे, जिससे वह कमीशन लेकर साइबर अपराधियों का पैसा निकाल सकता था।
पुलिस ने पत्नी सहित उसके चार एटीएम कार्ड बरामद किए हैं, जिनमें से दो दूसरे व्यक्ति के नाम पर हैं। विकास से बरामद मोबाइल में साइबर क्राइम के लिंक भी पाए गए हैं। वह स्पष्ट रूप से साइबर अपराध में शामिल था।
मीडिया सेल ने बताया कि साइबर थाना कांड संख्या 06/21 में भी आरोप लगाए गए हैं। आरोपित राजकिशोर का पूर्व भी आपराधिक इतिहास है। राजकिशोर साइबर थाना कांड 23/21 में आरोपित है।
पोषण ट्रेकर एप के उपभोक्ताओं को भी लक्ष्य बनाया
पूछताछ में साइबर आरोपितों ने बताया कि वे पोषण ट्रेकर एप से ग्राहकों का नंबर प्राप्त करने के बाद सरकारी अधिकारी बनकर ग्राहकों से फोन करते थे और उनसे जानकारी लेते थे।
इसके अलावा, वे फोन-पे, पेटीएम और अन्य बैंकों के फर्जी कस्टमर केयर अधिकारी बनकर ग्राहकों को कैशबैक का झांसा देकर उनके एकाउंट से पैसे निकाल लेते थे। साथ ही, उसने केवाईसी को अपडेट करने और फर्जी बैंक अधिकारी बनकर एकाउंट संबंधी जानकारी लेने के लिए साइबर ठगी करने की स्वीकृति दी है।