Ranchi: 20 राज्यों के सरकारी और गैर-सरकारी संगठन मिलकर बाल विवाह को रोकने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना के साथ बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने 2030 तक देश से बाल विवाह को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इसमें लगभग २० राज्यों के संगठन शामिल हैं जो बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए काम करते हैं।
भारत को बाल विवाह से मुक्त करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए एक खाका बनाया जा रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 51,57,863 लड़कियों का 18 वर्ष पूरा होने से पहले ही विवाह हो गया था। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-2021) के अनुसार, 20 से 24 साल की 23.3 प्रतिशत लड़कियों ने 18 वर्ष की उम्र में शादी कर ली।
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बाल विवाह के प्रमुख कारण: गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी
76,000 महिलाएं और बच्चे ने देश भर के 7028 गांवों से मशाल लेकर सड़कों पर उतरकर बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई है। ये सम्मेलन देश के 20 राज्यों में होते हैं और 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत का लक्ष्य पूरा करने के लिए एक अतिरिक्त कदम है। बाल विवाह को रोकने के लिए सभी संगठनों को एक साथ लाने का प्रयास किया जा रहा है, एक सम्मेलन करके। लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जा रही है।

मौजूदा कानून बाल विवाह को प्रतिबंधित करते हैं। बच्चों को इसके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दुष्प्रभावों को समझाया जा रहा है। बाल विवाह का मुख्य कारण गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी है। इसे दूर करने की भी कोशिश हो रही है। बाल विवाह सबसे अधिक अति पिछड़े जिलों में देखे जाते हैं। कौशल विकास ऐसे क्षेत्रों में बाल विवाह को रोका जा सकता है और गरीबी और बेरोजगारी को दूर कर सकता है।