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Khunti News: अफीम की खेती से नाबालिक बच्चों की जा रही है जान ‘जाने क्या है पूरी खबर’

Khunti: राज्य सरकार ने विधानसभा में उठे एक प्रश्न के जवाब में कहा कि NFHs -5, 2019–2021 के अनुसार खूंटी जिले में 5 वर्ष तक के 44% आदिवासी बच्चे कुपोषित हैं। खूंटी राज्य में बच्चों का कुपोषण छठे स्थान पर है। सरकार का जवाब नि:संदेह खूंटी के लिए महत्वपूर्ण है। हिन्दुस्तान ने शुक्रवार को जिले के सिविल सर्जन डॉ. नागेश्वर मांझी से इस संबंध में बातचीत की।

सिविल सर्जन ने कहा कि खूंटी जिले में अफीम की खेती बच्चों के कुपोषण का सबसे बड़ा कारण है। भारत से विशेष बातचीत करते हुए सिविल सर्जन ने कहा कि अफीम एक मादक है और इसका नशा बहुत खतरनाक है। गर्भवती महिलाएं जो अफीम के खेतों में काम करती हैं, उनके पेट में पलने वाले बच्चे का ग्रोथ रूक जाता है। यह भी बहुत संभव है कि गर्भपात हो जाएगा। 5 से 6 महीने की गर्भवती महिलाओं में गर्भपात होने और उनकी मौत की भी संभावना बनी रहती है।

अफीम की खेती
अफीम की खेती

सिविल सर्जन ने बताया कि कम उम्र में शादी करना और हर वर्ष बच्चों को जन्म देना जिले में कुपोषण का दूसरा बड़ा कारण है। सिविल सर्जन ने कहा कि एक बच्चे से दूसरे में कम से कम 3 वर्ष की दूरी होनी चाहिए। महिलाओं का कुपोषण भी बच्चों का कुपोषण करता है। कुपोषित गर्भवती माताएं 7 से 8 महीने में बच्चों को जन्म देती हैं

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यह एक गंभीर मामला है इस पर विचार होना चाहिए

अफीम की खेती
अफीम की खेती

खूंटी जिले में कुपोषण एक महत्वपूर्ण समस्या है, सिविल सर्जन डॉ. नागेश्वर मांझी ने बताया। सखी मंडल की दीदियों, जनप्रतिनिधियों, पंचायत प्रतिनिधियों और समाज के जागरूक लोगों को इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए।

सिविल सर्जन ने कहा कि बिना सावधानी से अफीम के खेतों में काम करने से शरीर के कई ऑर्गन प्रभावित होते हैं। उनका कहना था कि अफीम खेती करने वालों को फेफड़ा, किडनी और लीवर में समस्या होती है। एलर्जी भी होती है।

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Suraj Kumar

"मैं सूरज कुमार, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, पिछले कुछ महीनो से "JoharUpdates" में न्यूज़ राइटर के रूप में कार्यरत हूँ। मैंने विनोभा भावे यूनिवर्सिटी से B.com किया हुवा है, और मुझे कंटेंट लिखना अच्छा लगता है इसलिए मैं इस वेबसाइट की मदद से अपने लिखे न्यूज़ को आप तक पंहुचाता हूँ। Email- suraj24kumar28@gmail.com

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