Ranchi News: सीता सोरेन की बेटियों ने कल्पना सोरेन को दिया तगड़ा जवाब, अपना असली रूप दिखाने के लिए मेरे पापा का सहारा न ले
Ranchi: दुर्गा सोरेन और सीता सोरेन की दोनों बेटियों ने कल्पना सोरेन की पोस्ट पर तगड़ा जवाब दिया है। पोस्ट के जवाब में बेटी राजश्री सोरेन ने लिखा कि मेरे पिता अपने लोगों के संरक्षक थे। अन्याय के खिलाफ हमेशा उन्होंने लड़ाई लड़ी है। वह लोगों का स्वर थे। झामुमो को मजबूत बनाने के लिए उन्हें बहुत कुछ करना पड़ा। कृपया अपनी वास्तविकता छिपाने के लिए मेरे पिता का नाम नहीं लें।
दुर्गा सोरेन की दूसरी बेटी विजयश्री सोरेन ने एक पत्र में लिखा, “मुझे पता है पापा, आप जहां भी हो, आपका प्यार और आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ है।”झारखंड को झुकाना नहीं बचाना है। वहीं पोस्ट में उसने लिखा कि मां सीता सोरेन के चौबीस साल के संघर्ष का अंत हुआ। बिना झुके झारखंड की भलाई के लिए काम करने का निर्णय लिया है।
अपने पिता दुर्गा सोरेन के बताए मार्ग पर चलकर अन्याय के खिलाफ संघर्ष करेगी। आपकी जानकारी के लिए बता दे की हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने पहले एक्स पर एक लेख लिखा था।
कल्पना सोरेन ने एक्स पर क्या लिखा?
हेमन्त जी ने स्वर्गीय दुर्गा दा को अपने बड़े भाई और पिता के रूप में देखा। 2006 में शादी करके इस बलिदानी परिवार में शामिल होने के बाद मैंने हेमन्त जी का अपने बड़े भाई के प्रति आदर, समर्पण और स्वर्गीय दुर्गा दा का प्यार देखा। हेमन्त जी राजनीति में आना नहीं चाहते थे, लेकिन दुर्गा दादा की अचानक मृत्यु और आदरणीय बाबा के स्वास्थ्य को देखते हुए।
हेमन्त ने राजनीति नहीं चुनी, बल्कि राजनीति ने उन्हें चुना। जिन लोगों ने आर्किटेक्ट बनने का निर्णय लिया था, उनके ऊपर अब झामुमो, आदरणीय बाबा और स्व दुर्गा दा की विरासत और संघर्ष की जिम्मेदारी थी।
कल्पना सोरेन ने आगे लिखा कि वामपंथी विचारधारा और समाजवाद के एकीकरण ने मुक्ति मोर्चा को जन्म दिया। आज झारखंड में झामुमो, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों समेत सभी गरीबों, वंचितों और शोषितों की विश्वसनीय आवाज बन कर आगे बढ़ रहा है। हेमन्त जी आज जेल में हैं क्योंकि वे आदरणीय बाबा और स्व दुर्गा दा के संघर्षों और पूंजीपतियों-सामंतवादियों के खिलाफ लड़ते थे।
वे झुकते नहीं हैं। वे झारखंडियों की तरह लड़ेंगे। वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी समझौता करना, पीठ दिखाना या आगे बढ़ना नहीं सीखा है। झुक जाना सिर्फ झारखण्डी के DNA में नहीं है। हम नहीं, तुम नहीं, बल्कि निरंतर संघर्ष है।
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