Palamu News: होली को देखते हुए घी में बढ़ी मिलावट, जाने आपका घी है कितना शुद्ध
Palamu: पलामू जिला में होली की आगामी को देखते हुए बड़े व्यापारी अपने मुनाफे को देखते हुए तेल और देसी घी में मिलावट की संख्या बढ़ा सकते है। क्युकी होली में ही सर्वाधिक तेल और घी की माँग बढ़ जाती है।
होली के मुख्या पकवान ज्यादातर तेल या घी के ही बनाये जाते है। होली में मिठाईया तक खरीदने में लोगो को संदेह होने लगा है। तेल और घी के साथ साथ खोवा, मावा,तथा छेना में भी मिलावट की संख्या बढ़ चुकी है।
पलामू के बाजार में बहुत से व्यापारी ऐसे है जो की वो खोवा और अन्य मिठाइयों में होने वाले गाय के दूध की जगह वे पाउडर के दूध का इस्तेमाल करते है। मेदिनीनगर सिटी में प्रत्येक दिन 50 हजार लीटर से अधिक दूध की खपत होती है।
जिसमे खोवा से लेकर घी तक बनाया जाता है। जिसमे पाउडर से बने दूध का इस्तेमाल ज्यादा है। जानकारी के अनुसार घी सबसे महत्त्वपूर्ण एवं शक्तिवर्धक स्वदेशी दूध उत्पाद है। वैदिक काल से ही घी का भारतीय आहार में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है । घी का उपयोग भारत के अलावा अन्य दक्षिण एशिया के देशों में भी होता है।
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शुद्ध घी में वनस्पति घी की मिलावट रोकने के लिए सरकार ने वनस्पति घी के उत्पादकों में 5 प्रतिशत तिल का तेल मिलाना अनिवार्य किया हुआ हैं ताकि वनस्पति घी का देशी घी में मिलावट का पता लगाया जा सके।हाईड्रोक्लोरिक अम्ल की उपस्थिति में सेसामोलिन (तिल के तेल में मौजूदा) के हाईड्रोक्लोरिक के द्वारा गठित सौसेम और फरफूरल के बीच की प्रतिक्रिया के कारण एक स्थायी क्रिमसन रंग के उत्पन्न होने पर आधारित तो इसी प्रकार आप अपने घी का पता लगा सकते है।
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