Khunti News: अवैध रूप से ग्रामीणों ने प्रशासन से छुपा कर कर ली है 3 अरब की अफीम की खेती
Khunti: रांची-खूंटी सीमा क्षेत्र में अफीम की फसलें फैली हुई हैं। पिछले कुछ वर्षों से यहां अफीम की खेती शुरू हुई है। चतरा के अफीम कारोबारी तस्करों ने इसे अपना आधार बनाया है। खूंटी का नाम पूरे देश में अफीम की खेती में उग्रवादियों की मदद और प्रशासन की अनदेखी से उभरा। तस् करों का आत्मविश्वास भी बढ़ता जा रहा है।
जबकि अफगानिस्तान विश्व में सबसे अधिक अफीम उत्पादन करता है, झारखंड के खूंटी क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से अफीम की खेती शुरू हुई है। चतरा के अफीम कारोबारी तस्करों ने खूंटी को अफीम की खेती का गढ़ बनाया, जिससे देश भर में अफीम की खेती में खूंटी का नाम सबसे ऊपर आ गया।
मोटी कमाई की लालच में लोग कर रहे है अफीम की खेती
राजधानी रांची के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में अफीम की खेती लगवाना शुरू कर दिया गया क्योंकि तस्करों का दबाव बढ़ा। तस्कर ने ग्रामीणों को बताया कि इस वर्ष चुनाव है और पुलिस किसी भी तरह से अफीम की खेती को नष्ट नहीं करेगी. तस्करों ने भोले-भाले ग्रामीणों को अफीम की खेती में बहुत पैसा कमाने का लालच दिखाकर राजधानी के शहरी क्षेत्र में भी अफीम की खेती करवाई है।
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अधिकारी की नज़र में आते ही कर रहे हैं खेती को बर्बाद
ताकि पुलिस अफीम की खेती को नष्ट न करे, उग्रवादियों ने सफेद पोशो और थाना के दलालों के माध्यम से स्थानीय थाना में अफीम की खेती करने वाले किसानों से चंदा वसूल लिया है। जब अफीम की फसल से तरल अफीम निकाल लिया जाएगा और सूखे पौधे बचे रहेंगे, तब पुलिस खाना पूर्ति के नाम पर कुछ फसलों को नष्ट कर देगी। रांची की राजधानी रांची के तुपुदाना ओपी क्षेत्र के कई गांवों में इस वर्ष 100 से अधिक किसानों ने अफीम की खेती की है।
जाने क्या खराबी होती है अफीम की खेती
ग्रामीण लोगों में जागरूकता की कमी है, जिससे वे पैसे के लिए खतरनाक अफीम की खेती करते हैं। अफीम की खेती करते समय, फूल लगने के बाद पौधों में चीरा लगाते हैं चीरा लगाकर तरल अफीम निकाल दिया जाता है। चीरा लगाते समय पौधों के फलों से विकिरण निकलता है, जो चीरा लगाने वालों के फेफड़े को नुकसान पहुंचाता है। विकिरण के दुष्प्रभाव से खूंटी क्षेत्र में टीवी जैसे रोगों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
रामकृष्ण मिशन TV सेनेटोरियम अस्पताल के सचिव महाराज ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में अस्पताल में आने वाले रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। TV रोगियों को अब यहां रखने की जगह नहीं है। उन्हें दवा देकर घर भेजा जा रहा है, जिससे वे घर पर रहकर यहां से दवा लेकर अपना इलाज कर सकें और स्वस्थ रहें। TV रोगियों को RIMS और सदर अस्पताल में भी नहीं रखा जा रहा है। रामकृष्ण मिशन टीवी सेनेटोरियम में आने वाले मरीजों ने बताया कि वहां से उनको सिर्फ रामकृष्ण मिशन TV सेनेटोरियम में जाने की सलाह दी जाती है।
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खूंटी के पूरे शहर में आधे से अधिक लोग करते है अफीम का नशा
नशे की आदत से पीड़ित युवा अपराध की दुनिया में घुस गए हैं। गांव में पैसे की चमक और शाही ठाठ-बाद वाले जीवन स्तर के लिए गरीब किसानों के बच्चे, जो पहले खेती-बाड़ी और मजदूरी कर जीविका चलाते थे, अब महंगी बाइकों और फोर व्हीलर में अफीम की खेती कर रहे हैं. जो खेती नहीं कर रहे हैं, वे अफीम की बिक्री और खरीद करने वाले अफीम तस्करों के एजेंट बन गए हैं।
जाने कौन से गांव में हो रही है अवैध रूप से अफीम की खेती
अफीम की खेती खूंटी जिले के कई गांवों में की जाती है, जिनमें अकता, अरगोडी, अनीडीह, टकरा, हातुगामी, चुकरु, रेमता, साडासोम, सिलादोन, भूत और अड़की, मुरहू भी शामिल हैं। साहेदा, बुंगरू, करकट्टा, सिरि, किसकी, सोढा, देवगामी, हुड़वा, भंडार टोली, हजाम, नया टोली, बांध टोली, रायडीह, पाटेज, बंडा, गरसुल, डूमर टोली, अंबाटोली, चिटवादाग, हुडींगदाग सहित अन्य गांवों में खेती की जाती है।
हुआं गहातु, लाली, तंजू नचल दाग, डुडुरदाग, कोलाद, बंधुवा और कई अन्य गांवों में अफीम का उत्पादन होता है। 2021-22 में झारखंड में सबसे ज्यादा डोडा और अफीम नामकुम पुलिस ने पकड़ा था. उस समय के थाना प्रभारी ने सुदूर ग्रामीण इलाकों में घुसकर ट्रकों और अन्य वाहनों में सैकड़ो क्विंटल डोडा और अफीम बरामद किया था।
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