Jamtara News: कैसे जामताड़ा का कर्माटांड़ बना “साइबर क्राइम कैपिटल”? जाने पूरी कहानी….
Jamtara: ‘जामताड़ा’ झारखंड का एक छोटा सा शहर , जो देश भर में साइबर क्राइम कैपिटल के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र के युवाओं ने पिछले कुछ सालों में साइबर ठगी की इतनी अधिक घटनाओं को अंजाम दिया कि देश के दो दर्जन राज्यों की पुलिस साइबर अपराधियों की तलाश में जामताड़ा आ गई है। जामताड़ा-कर्माटांड़ के युवा 1980 के दशक में ट्रेन लूट, 1990 से 2001-02 तक नशाखुरानी और करीब दो दशक से साइबर अपराध में शामिल।
झारखंड में जामताड़ा एक छोटा सा शहर है जहाँ ।15 नवंबर 2000 को जामताड़ा को अलग झारखंड राज्य बनने के एक साल बाद 2001 में जिला का दर्जा मिला। एक समय में जामताड़ा-कर्माटांड़ को महान विचारक, दार्शनिक, लेखक और पुनर्जागरण के अग्रदूतों में से एक ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता था। लेकिन आजकल पूरे देश में साइबर अपराध का मुद्दा कर्माटाड़ है। जामताड़ा के साइबर अपराधियों ने देश भर के अलग-अलग जिलों में रहने वाले आम लोगों के अलावा प्रमुख फिल्म अभिनेता, राजनेता, वरिष्ठ अधिकारियों और उनके परिवारों से ठगी की।
यही कारण है कि जामताड़ा, जो पहले ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि थी, अब देश-दुनिया में साइबर क्राइम कैपिटल के रूप में जानी जाने लगी है। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने कर्माटांड़ से ही सामाजिक सुधार के लिए बड़ा आंदोलन शुरू किया था, लेकिन आजादी के बाद भी इस क्षेत्र में पर्याप्त सुधार नहीं हुआ। यहाँ के युवा गरीबी और पिछड़ेपन से भटक गए। क्षेत्र में आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हुई। 1980 के दशक में इस क्षेत्र में ट्रेन चोरी की शुरुआत हुई। जामताड़ा-कर्माटांड़ स्टेशन के बीच ट्रेन में चोरी होने लगी। इसलिए यह “वैगन ब्रेकिंग स्टेशन” भी कहलाता था।
ट्रैन में लूट-पाट के बाद छिनतनी जैसी अपराध बढ़ी
जामताड़ा जिले के लोगों का कहना है कि 1980 के दौर में युवाओं में जो भटकाव शुरू हुआ, उसका लंबे समय तक प्रभाव पड़ा। जामताड़ा के युवकों ने लगभग 10 वर्षों तक विभिन्न ट्रेनों में लूट की घटनाओं को अंजाम देने का काम किया। इसके बाद, स्थानीय प्रशासन और रेल पुलिस की कठोरता से अपराध करने वाले युवाओं ने नया रास्ता खोज लिया। तब युवा लोगों ने ट्रेन और बस में सफर करने वालों को लक्ष्य बनाना शुरू किया। 1990 से 2004 तक, नशाखुरानी गिरोह ने कई यात्रियों को मार डाला।
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मुंबई में एक कर्माटांड़ युवक ने रिचार्ज दुकान से ठगी की शुरुआत
जामताड़ा जिले में सीताराम मंडल को साइबर क्राइम का रास्ता दिखाने वाला उस्ताद बताया जाता है। जिले के कर्माटांड़ प्रखंड के सिंदरजोरी गांव में रहने वाले सीताराम मंडल ने 17 से 18 वर्ष पहले मुंबई में एक मोबाइल रिचार्ज की दुकान में काम करते हुए ठगी के कई तरीके आजमाए। सीताराम मंडल बाद में सिंदरजोरी वापस गया। उसने इस काम में बहुत से साथियों और युवाओं को जोड़ा।
सीताराम ने ही कई महिलाओं को फोन करके ऑनलाइन ठगी करने का प्रशिक्षण भी दिया। लेकिन 2020 में सीताराम मंडल को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वह एक और केस में फिर गिरफ्तार हुआ, जब वह कुछ महीने बाद जमानत पर छूटा। बताया जाता है कि सीताराम मंडल ने ही जामताड़ा और आसपास के कई जिलों के सैकड़ों युवा लोगों को इस काम में धकेल दिया था।
इलाके के युवा ट्रैन में डकैती और नशाखुरानी के बाद साइबर क्राइम की ओर आकर्षित हुए। इस इलाके के युवा लोगों ने स्मार्टफोन के आगमन से घर बैठे-बैठे ऑनलाइन ठगी करना सीख लिया। इस पूरे कार्यक्षेत्र का केंद्र कर्माटांड़ था। नई दिल्ली-हावड़ा मेन लाइन के किनारे स्थित करमाटांड़, जिसमें लगभग 150,000 लोग रहते हैं,
साइबर क्राइम के गढ़ के रूप में विकसित होने की कहानी देश में 2004-05 में शुरू हुई स्मार्ट फोन क्रांति के साथ-साथ शुरू हुई। इसके बाद देश भर में कर्माटांड़ की चर्चा होने लगी। बताया जाता है कि देवघर, गिरिडीह, धनबाद और गोड्डा जिलों के सैकड़ों युवा इस क्षेत्र में आ गए। साथ ही साइबर अपराधियों ने दिल्ली, जयपुर, मुंबई,अहमदाबाद, कोलकाता, और पटना जैसे शहर में कॉल सेंटर बनाकर लोगों को ठगने का काम को अंजाम दिया ।
साइबर ठग एक्सपर्ट बनाने का कोर्स
साइबर क्राइम जामताड़ा से शुरू हुआ और कुछ ही वर्षों में पूरे देश में फैल गया। बताया जाता है कि राजस्थान के मेवात में पुलिस ने साइबर ठगी की ट्रेनिंग के लिए क्रैश कोर्स चलाए। पुलिस ने पकड़े गए लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि इस सेंटर में यूनिफार्म के साथ ठगी का पाठ्यक्रम चलाया जाता था। जामताड़ा के कुछ गेस्ट टीचरों ने इस क्रैश कोर्स के विद्यार्थियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी।
बहुत लोग बिना कुछ किये जल्दी अमीर बनाने की लालच में आ गए
कुछ ही वर्षों में सीताराम मंडल ने अपना जाल इतना फैलाया कि बिना काम किए जल्दी अमीर बनने की लालच में कई युवा इस धंधे में आकर फंस गए। इन युवाओं ने ठगी में एक के बाद एक बहुत कुछ हासिल किया, जिससे उनके और उनके परिवार का जीवन पूरी तरह बदल गया। कुछ महीने पहले, पुलिस ने 20 वर्षीय अल्ताफ उर्फ रॉकस्टार को साइबर ठगी का गैंग चलाता था। यह जानकर पुलिस अधिकारी हैरान रह गए कि उस 20 वर्षीय युवक के गिरोह में चौदह लोग थे। इनमें से अधिकांश ने सिर्फ 8 से 10 तक की पढ़ाई की थी। अल्ताफ में पुलिस ने आलीशान कोठी और कई महंगी कार बरामद कीं।
कर्माटांड़ के बहुत से परिवारों का जीवन अचानक बदल गया।
जामताड़ा जिले के कर्माटांड़ प्रखंड के कई गांवों के रहने वाले सैकड़ों परिवारों की आर्थिक स्थिति पिछले कुछ वर्षों में पूरी तरह से बदल गई है। कर्माटांड़ में, कुछ साल पहले तक एक परिवार का मुखिया घर-घर घूमकर रद्दी इकट्ठा करता था, फिर उसे बेचकर जितने पैसे जुटते थे, उसी से छोटे से कच्चे में रहने वाले छह-सात सदस्यों वाले परिवार का जीवन चलता था। लाल कार्ड के अनाज पर बहुत से परिवार निर्भर थे।
लेकिन इन कच्चे मकान में रहने वाले परिवार की सोच पूरी तरह से बदल गई है। आलीशान घरों ने कच्चे घरों की जगह ले ली है। इस छोटे से प्रखंड में डेढ़ लाख लोग रहते हैं और हर ब्रांड की सैकड़ों कारें दौड़ती मिल जाएंगी। साइबर ठगी से ही यह चमक-दमक और समृद्धि दिखाई देती है। इन घरों में रहने वाले युवा और परिवार का मुखिया किसी सरकारी या निजी कंपनी में काम नहीं करते। इन आलीशान घरों में कोई व्यवसाय या खेती नहीं है, लेकिन देश भर की पुलिस इन घरों में छापा मारती है, तो लाखों रुपये कैश के अलावा कार, स्कूटी, बाइक, एफडी, जमीन के कागजात और चल-अचल संपत्ति के दस्तावेज मिलते हैं।
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