Koderma News: जनवरी शुरू होते ही कोडरमा में बढ़ गई है ‘तिलकुट की मांग’
Koderma: जिले में मकर संक्रांति की तैयारी शुरू हो गई है । तिलकुट की मांग जनवरी में बढ़ते ही शहर धम-धम की आवाज और सोंधी महक से भर गया है। तिलकुट मकर संक्रांति का सबसे बड़ा मिष्ठान है। गया में तिलकुट बनाने वाले कारीगर पूरे दिन काम कर रहे हैं।
तिलकुट भी पुराणी गोडाउन में बहुत लोकप्रिय है।कई दशकों से यहां तिलकुट बनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन कमी न होने के लिए अधिक मात्रा में स्टॉक बनाया जा रहा है। गया के पुराणी गोडाउन में तिलकूट भंडार में बड़ी मात्रा में तिलकूट बनाया जाता है।
सर्दियों में तिल से बने खाद्य पदार्थ खाना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। तिल में मैग्नीशियम, आयरन, कॉपर, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, कॉपर, प्रोटीन और कैल्शियम सब पाया जाता है हैं।
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गया का तिलकुट सबसे अधिक लोकप्रिय है, लेकिन गया के तिल से बनाया गया का तिलकुट भी लोगों को पसंद आने लगा है। यही कारण है कि गया के तिल से बगोदर में बनाए जाने वाले तिलकुट की मांग बगोदर और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी है। एक महीने में बगोदर में लगभग 150 से 200 क्विंटल तिलकुट तैयार होता है और पूरे क्षेत्र में भेजा जाता है।
बगोदर में तैयार होने वाली तिलकुट की महक भी बगोदर की फीजा को सुगंधित करती है। बगोदर में मकर संक्रांति पर भारी मात्रा में तिलकुट बनाया जाता है। वर्तमान में बगोदर में तिलकुट बनाने की 5 दुकानें कुटीर उद्योग के रूप में काम करती हैं। यहां उत्पादित तिलकुट को दूसरे जिलों में भी भेजा जाता है। बगोदर में, यानी मकर संक्रांति को देखते हुए, तिलकुट बनाया जा रहा है।
तिलकुट चीनी और गुड़ से बनाया जाता है। यह कुटीर उत्सव एक महीने तक चलता है क्योंकि मकर संक्रांति है। यह धंधा भी मकर संक्रांति के दिन समाप्त होते ही बंद हो जाता है। स्थानीय कारीगर तिलकुट बनाते हैं। तिलकुट बनाने की दुकान चलाने वाले भोला का कहना है कि एक महीने तक इस व्यवसाय में उत्साह देखने को मिलता है। तिलकुट बनाने के बाद ही सप्लाई शुरू होती है
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