Ranchi: 17 अगस्त से, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी एक संकल्प यात्रा पर हैं। 28 अक्टूबर को, संथाल परगना के भोगनाडीह से निकली उनकी संकल्प यात्रा का समापन रांची में एक बड़ी जनसभा से होगा। अब तक बाबूलाल मरांडी ने आठ चरण की यात्रा की है।
संथाल से शुरू हुई उनकी उद्देश्यपूर्ण यात्रा 57 दिन में 73 विधानसभा क्षेत्रों में बैठकों के साथ समाप्त हो चुकी है। दुर्गापूजा के बाद नौवें और अंतिम चरण की यात्रा ईचागढ़ से शुरू होगी। 27 अक्टूबर को बाबूलाल मरांडी पहले ईचागढ़ और फिर सिल्ली विधानसभा क्षेत्र में बैठक करेंगे। 28 अक्टूबर को वे फिर से रांची पहुंचेंगे।
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बाबूलाल यहां मोरहाबादी मैदान में छह विधानसभा क्षेत्रों (रांची, खिजरी, कांके, हटिया, मांडर और तमाड़) की बैठक में भाषण देंगे। बाबूलाल मरांडी की संकल्प यात्रा 73 दिनों में 81 विधानसभा क्षेत्रों में समाप्त होगी।
बाबूलाल की यात्रा का यह लक्ष्य था
झारखंड के प्रसिद्ध आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी हैं। भाजपा से अलग होने के बाद, उन्होंने अपने दम पर झारखंड विकास मोर्चा बनाकर भाजपा और राज्य के अन्य दलों को चुनावों में बड़ी चुनौती दी कि झारखंड में उनका फेस वैल्यू कितना है। 2020 में वे 14 साल बाद भाजपा में वापस आए।
वे जुलाई 2023 में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष चुने गए और अगले महीने ही संकल्प यात्रा पर चले गए। योजना यात्रा का उद्देश्य आम लोगों को बताना है कि प्रदेश में एक प्रमुख आदिवासी नेता अब भाजपा का नेतृत्व कर रहा है। भाजपा को इस यात्रा से उम्मीद है कि राज्य के 28 आदिवासी विधानसभा सीटों में पार्टी की दोबारा जीत होगी।
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सिर्फ मुख्यमंत्री और सरकार ही बाबूलाल की संकल्प यात्रा का लक्ष्य हैं
बाबूलाल मरांडी ने संकल्प यात्रा के दौरान अपनी सभाओं में राज्य सरकार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनके परिवार, राज्य मंत्रियों और अफसरों को मुख्य रूप से निशाने पर रखा, लेकिन बाबूलाल का मुख्य लक्ष्य मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन था। वे हर बैठक में मुख्यमंत्री पर जमीन घोटाले के आरोप, सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर राज्य में खरीदे गए जमीनों, साहिबगंज का खनन घोटाला और बार-बार ईडी का समन जैसे मुद्दे उठाते रहे।

संकल्य यात्रा के दौरान बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री, सरकार और भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों का नाम लिया है। जनता ने हेमंत सरकार को बर्खास्त करने का भी संकल्प लिया है। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के परिणामों के बाद ही बाबूलाल की यात्रा की सफलता का पता चलेगा।